Friday, June 29, 2012

देवी-देवता की कितनी मूर्तियां घर में रखें?

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 घर में देवी-देवताओं की मूर्तियां रखना शुभ माना जाता है लेकिन कौन से भगवान की कितनी मूर्तियां रखनी चाहिए, इस संबंध में कुछ नियम बताए गए हैं।

शास्त्रों के अनुसार भगवान के दर्शन मात्र से कई जन्मों के पापों का प्रभाव नष्ट हो जाता है। इसी वजह से घर में भी देवी-देवताओं की मूर्तियां रखने की परंपरा है। घर में स्थित मंदिर पर कौन से देवी-देवता की कितनी मूर्तियां रखनी चाहिए,






घर के मंदिर में मां दुर्गा या अन्य किसी देवी की मूर्तियों की संख्या तीन नहीं होना चाहिए। यह अशुभ माना जाता है।

 प्रथम पूज्य श्रीगणेश के स्मरण मात्र लेने से ही कार्य सिद्ध हो जाते हैं। घर में इनकी मूर्ति रखना बहुत शुभ माना जाता है। वैसे तो अधिकांश घरों में गणेशजी की कई मूर्तियां होती हैं लेकिन ध्यान रखें कि गजानंद की मूर्तियों की संख्या 3 नहीं होना चाहिए। यह अशुभ माना जाता है। गणेशजी की 3 से कम या ज्यादा मूर्तियां घर में रखी जा सकती हैं।




 शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग के दर्शन मात्र से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। घर में शिवलिंग रखने के संबंध में कुछ नियम बताए गए हैं। घर के मंदिर में रखे गए शिवलिंग का आकार हमारे अंगूठे से बड़ा नहीं होना चाहिए। ऐसा माना जाता है शिवलिंग बहुत संवेदनशील होता है, अत: घर में ज्यादा बड़ा शिवलिंग नहीं रखना चाहिए। इसके साथ ही घर के मंदिर में शिवलिंग 1 ही रखा जाए तो वह ज्यादा बेहतर फल देता है।





Sunday, June 24, 2012

ऑलिव ऑय ये बना देगा आपको सिर से पैर तक खूबसूरत

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ऑलिव ऑयल में फ्लेवसेनॉयड्स स्कवेलीन और पोरीफेनोल्स एंटीऑक्सीडेंट्स हैं, जो फ्री रैडिकल्स से सेल्स को डैमेज होने से बचाते हैं। अगर इसे भोजन में शामिल किया जाए तो इससे ब्लडप्रेशर को नियंत्रित रखा जा सकता है। इसका इस्तेमाल उबटन, फेसमास्क आदि के रुप में भी किया  जा सकता है। यह त्वचा को झुर्रियों से बचाता है।  


कोमल होंठ- रुखे, बेजान, फटे होठों पर ऑलिव ऑयल कि हल्‍की मालिश सुबह शाम करें इससे आपके होंठ कोमल हो जाएगें।

खूबसूरत नाखून-करीब आधे घंटे के लिए ऑलिव ऑयल में नाखूनों को डुबोकर रखें। इससे नाखून और क्‍यूटिकल्‍स नरम और लचीले हो जाएगें। यह किसी भी क्रीम से बेहतर काम करेगा। आप चाहें तो पैरों को साफ करके उसपर ऑलिव ऑयल लगाएं और सूती मोजे पहन कर सो जाएं। पेडीक्‍योर की जरूरत नहीं पड़ेगी।




दूर होगी डैंड्रफ की समस्‍या- थोडा सा ऑलिव ऑयल अपने होथों में लें और उन्‍हें रुखे और बेजान बालों पर लगाएं, इससे आपके बाल सिल्‍की हो जाएंगे। और अगर आपको डैंड्रफ की समस्‍या है तो वही भी कम हो जाएगी।


चेहरा निखर जाएगा- चेहरे को सादे पानी से अच्‍छी तरह से धो लें। अब ऑलिव ऑयल से मसाज करें। इसके बाद आधा चम्‍मच चीनी लेकर चेहरे पर रगड़े। अंत में गुनगुने पानी में एक मुलायम कपड़ा भिगोकर चेहरे को भिगो कर चेहरे को पोंछ लें। कुछ दिनों तक ऐसा कर के आप महसूस करेगीं कि आपका चेहरा निखर उठा है।


हफ्ते में तीन बार- हफ्ते में तीन बार नींबू में रस में ऑलिव ऑयल मिला कर चेहरे की मालिश करें, इससे न सिर्फ झुर्रियां भागेगीं बल्कि चेहरे की रंगत में भी निखार आएगा। साथ ही बालों में लगाने से इनकी अच्‍छी कंडीशनिंग भी हो जाती है। उलझे बालों की समस्‍या भी सुलझेगी।

इन्हें कभी साथ न खाएं वरना हो जाएगी हालत खराब

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खाने के शौकिन लोग अक्सर जाने-अनजाने कुछ ऐसी खाने की चीजों का साथ में खा लेते हैं। जिनका आयुर्वेद के अनुसार एक साथ सेवन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना गया है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में जिन्हें एक साथ खाना शरीर पर जहर के समान असर करता है। इन्हे साथ खाने से आपकी तबीयत बिगड़ सकती है।


 बैंगन का भरता और दूध की बनी कोई चीज।


दूध में नींबु या संतरे का छिंटा भी पड़ जाए तो दूध फट जाता है। दोनों का एक साथ सेवन करने पर एसीडिटी हो जाती है।




 चिकन के साथ ज्यूस या मिठाई आदि का शौक रखने वालों को भी इसके सेवन से बचना चाहिए क्योंकि इसके सेवन से पेट खराब हो सकता है।




आइस्क्रीम के तुरंत बाद पानीपूरी।






आलू और चावल एक साथ नहीं खाना चाहिए। इससे कब्ज की समस्या हो सकती है।


पिपरमेंट को कभी भी कोल्डड्रिंक पीने से पहले पुदीने दोनों को मिलाने पर साइनाइड बनता है जो कि जहर के समान कार्य करता है।


दूध के साथ उड़द व मुंग की दाल।जहां तक हो सके ऊपर बताई गई चीजों को साथ खाने से बचना चाहिए नहीं तो ये आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं। इन्हें साथ खाने से आप बदहजमी का शिकार हो सकते हैं।

छोटी इलायची से करें बड़ी प्रॉब्लम्स का इलाज

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इलायची को मसालों की रानी माना जाता है। भारत इस मसाले का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। इलायची का मूल स्थान दक्षिण भारत में पश्चिमी घाट हैं। भारत में इलायची की खेती मुख्यत: तीन राज्यों केरल, कर्नाटक और तमिलनाडू में केन्द्रित है। इलायची सिर्फ एक मसाला ही नहीं है बल्कि एक बढ़िया औषधि भी है। आइए जानते हैं इलायची के कुछ औषधीय गुण..


बदहजमी - यदि केले अधिक मात्रा में खा लिए हों तो तत्काल एक इलायची खा लें। केले पच जाएँगे और आपको हल्कापन महसूस होगा।


खांसी- सर्दी-खांसी और छींक होने पर एक छोटी इलायची, एक टुकड़ा अदरक, लौंग तथा पाँच तुलसी के पत्ते एक साथ पान में रखकर खाएं।


छाले- मुँह में छाले हो जाने पर बड़ी इलायची को महीन पीसकर उसमें पीसी हुई मिश्री मिलाकर जबान पर रखें। तुरंत लाभ होगा।


जी मिचलाना- बहुतों को यात्रा के दौरान बस में बैठने पर चक्कर आते हैं या जी घबराता है। इससे निजात पाने के लिए एक छोटी इलायची मुँह में रख लें।


खराश- यदि आवाज बैठी हुई है या गले में खराश है तो सुबह उठते समय और रात को सोते समय छोटी इलायची चबा-चबाकर खाएं तथा गुनगुना पानी पीएं।


सूजन- यदि गले में सूजन आ गई हो तो मूली के पानी में छोटी इलायची पीसकर सेवन करने से लाभ होता है।


उल्टियां-बड़ी इलायची पाँच ग्राम लेकर आधा लीटर पानी में उबाल लें। जब पानी एक-चौथाई रह जाए तो उतार लें। यह पानी उल्टियां रोकने में कारगर सिद्ध होता है।

Friday, June 22, 2012

सांई बाबा की मूर्ति या फोटो घर में रखनी चाहिए

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शास्त्रों के अनुसार देवी-देवताओं के दर्शन मात्र से हमारे कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। इसी वजह से घर में भगवान की फोटो या मूर्तियां रखने की परंपरा बनाई गई है ताकि ईश्वर के दर्शन होते रहे। वैसे तो सभी देवी-देवता अपने भक्तों की इच्छाएं पूर्ण करते हैं लेकिन आजकल सांई बाबा के भक्तों की संख्या काफी अधिक है। ऐसा माना जाता है कि सांई बाबा अपने श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं बहुत ही जल्द पूर्ण कर देते हैं।

हम घर में कई देवी-देवताओं, भगवान की प्रतिमा या मूर्ति या फोटो अवश्य ही रखते हैं। वास्तु और ज्योतिष के अनुसार घर में भगवान की प्रतिमा अवश्य ही रखना चाहिए, ये मूर्तियां और फोटो घर का वातावरण सकारात्मक बनाए रखती हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों में असंख्य देवी-देवता बताए गए हैं। सभी अपने भक्तों को सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। कई लोग संत-महात्माओं की भी तस्वीर या मूर्ति घर में रखते हैं। ऐसे ही एक महात्मा हैं शिर्डी के सांई बाबा। बड़ी संख्या में लोग सांई बाबा को भगवान का रूप ही मानते हैं।

शिर्डी के सांई बाबा के भक्त दुनियाभर में फैले हैं। वे एक फकीर ही थे लेकिन उनके चमत्कारों के कई किस्से-कहानियां अक्सर हम सुनते रहते हैं। सांई बाबा ने हमेशा ही सभी के दुखों और परेशानियों को दूर किया है इसी वजह से उनके भक्तों की काफी बढ़ी है। नित्य उनके दर्शन से हमारा दिन अच्छा रहता है, सभी कार्य समय पर पूर्ण हो जाते हैं और जीवन के दुख-दर्द भी दूर हो जाते हैं। प्रतिदिन उनके दर्शन के लिए सांई बाबा की मूर्ति या फोटो घर में अवश्य रखना चाहिए। घर में सुख-समृद्धि बनी रहेगी। धन संबंधी रुकावटें दूर होंगी। साथ ही इन्हें घर में रखने से कई वास्तु दोषों का प्रभाव भी नष्ट हो जाता है। परिवार के सभी सदस्यों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।






जानवरों की पूजा की जाती है

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शास्त्रों में केवल इंसान ही नहीं जानवरों के प्रति भी समानता का भाव रखने की बात कही जाती रही है। जिस इंसानों की दुख और दर्द होते हैं ठीक उसी प्रकार जानवरों को इनका अहसास होता है। अत: इनकी उचित देखभाल करने का नियम बनाया गया है। जो लोग जानवरों की ओर भी ध्यान देते हैं उन्हें अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, ऐसी मान्यता है। कुछ ऐसे जानवर हैं जिनकी पूजा करने का भी विधान बताया गया है।


गाय: ऐसा माना जाता है कि गाय के शरीर में हिन्दूओं के समस्त देवी-देवता वास करते हैं। इसी वजह गाय को पूज्य और पवित्र माना गया है।




हाथी: हाथी को श्रीगणेश का प्रतीक माना जाता है। श्रीगणेश का मुख भी हाथी के समान ही है, इसी वजह से हाथी की पूजा की जाती है।


घोड़ी: आज भी विवाह के दौरान दूल्हा घोड़ी पर ही बैठता है और इससे पूर्व घोड़ी का पूजन किया जाता है। घोड़ी के पूजन के बाद ही दूल्हा उस पर बैठता है। यह एक प्राचीन परंपरा है, इसे शुभ शकुन भी माना जाता है। इस संबंध में ऐसी मान्यता है कि इससे दूल्हा और दुल्हन के वैवाहिक जीवन सुख और समृद्धि बनी रहती है।


घोड़े: प्राचीन काल में जब भी राजा-महाराज किसी युद्ध पर जाने से पूर्व घोड़ों की पूजा करते थे। तब ऐसी मान्यता थी कि घोड़ों की पूजा करने पर युद्ध में विजय प्राप्त होती है।



बैल: शिवजी का वाहन है बैल या नंदी। नंदी की पूजा इसी वजह से की जाती है। ग्रामीण अंचल में कृषि संबंधी कार्य की शुरूआत बैल की पूजा के साथ ही जाती है। क्योंकि बैल की मदद से कृषि के कार्य पूर्ण हो सकते हैं।



सांप: शास्त्रों के अनुसार सांप शिवजी का अति प्रिय जीव है। इसी वजह से शिवजी इसे गले में धारण करते हैं और इसी वजह से सांप की पूजा भी जाती है। प्रतिवर्ष नाग पंचमी विशेष रूप से नाग यानि सांप की पूजा का दिन ही है।


Thursday, June 21, 2012

गुप्त नवरात्रि आया है मालामाल होने का मौका, न जानें दें हाथों से

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गुप्त नवरात्रि टोने-टोटकों के लिए बहुत ही उत्तम समय रहता है। तंत्र शास्त्र के अनुसार इस दौरान किए गए सभी तंत्र प्रयोग शीघ्र ही फल देते हैं। यदि आप गरीब हैं और धनवान होना चाहते हैं गुप्त नवरात्रि इसके लिए बहुत ही श्रेष्ठ समय है। नीचे लिखे टोटके को विधि-विधान से करने से आपकी मनोकामना शीघ्र ही पूरी होगी।

टोटका

गुप्त नवरात्रि के दौरान किसी भी दिन सभी कार्यों से निवृत्त होकर उत्तर दिशा की ओर मुख करके पीले आसन पर बैठ जाएं। अपने सामने तेल के 9 दीपक जला लें। ये दीपक साधनाकाल तक जलते रहना चाहिए। दीपक के सामने लाल चावल की एक ढेरी बनाएं फिर उस पर एक श्रीयंत्र रखकर उसका कुंकुम, फूल, धूप, तथा दीप से पूजन करें। उसके बाद एक प्लेट पर स्वस्तिक बनाकर उसे अपने सामने रखकर उसका पूजन करें। श्रीयंत्र को अपने पूजा स्थल पर स्थापित कर लें और शेष सामग्री को नदी में प्रवाहित कर दें। इस प्रयोग से धनागमन होने लगेगा।

धनवान बनने के 8 सबसे आसान उपाय

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आज के समय सभी चाहते हैं कि उनके पास धन-संपत्ति हो, दुनिया का हर ऐशो-आराम हो, बैंक बैलेंस हो। लेकिन सिर्फ ऐसा चाहने से कुछ नहीं होता यदि आप इन सब चीजों की चाहत रखते हैं तो उसे पूरा करने के लिए आपको कुछ सार्थक प्रयास भी करना होंगे। अपने काम के प्रति ईमानदारी, मेहनत व लगन से ये सब हासिल किया जा सकता है लेकिन इसके साथ-साथ यदि कुछ अतिरिक्त प्रयास भी किए जाएं तो उसका भी फायदा मिल सकता है। अगर आप चाहते हैं कि देवी लक्ष्मी के कृपा आप पर सदैव बनी रहे तो इसके लिए आगे कुछ उपाय दिए गए हैं। विधि-विधान से इन उपायों को करने से गरीब भी धनवान बन जाता है।


 एकादशी के दिन सुबह गाय का थोड़ा कच्चा दूध लें और इसमें थोड़ा सा गंगाजल मिला लें। अब इसका छिटकाव पूरे घर में करें। इससे घर में नेगेटिव एनर्जी समाप्त हो जाएगी तथा मां लक्ष्मी घर में प्रवेश करेगी।


हर शुक्रवार को 9 कन्याओं को घर पर बुलाकर भोजन कराएं और इनकी पूजा कर दक्षिणा के साथ विदा करें। भोजन में खीर अवश्य बनाएं।
11 कौडिय़ों को शुद्ध केसर में रंगकर पीले कपड़े में बांधकर धन स्थान पर रखने से धन का आगमन होता है


धन प्राप्ति के लिए प्रतिदिन देवी लक्ष्मी की पूजा करें और उन्हें साबूत लौंग अर्पित करें। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।


एक नारियल की विधि-विधान से पूजा करें और इसे चमकीले लाल कपड़े में लपेटकर वहां रख दें, जहां आप पैसा या ज्वैलरी इत्यादि रखते हैं। हर शुक्रवार को इस नारियल की पूजा करके पुन: उसी स्थान पर रख दिया करें।


प्रति शुक्रवार किसी लक्ष्मी मंदिर में जाकर दर्शन करें और वहां सफेद मिठाई का भोग लगाएं। इस मिठाई को वहीं बांट दें।




 पूजा स्थान पर श्रीयंत्र स्थापित करें। श्रीयंत्र की प्रतिदिन पूजा करें। यह साक्षात मां लक्ष्मी का स्वरूप है।


घर में तुलसी का पौधा लगाएं तथा सुबह-शाम शुद्ध घी का दीपक लगाएं। ऐसा करने से भी धन लाभ होता है।











































यह अलौकिक आनंद..देखें महाकाल की आरती

देशभर में स्थित बारह शिव ज्योर्तिलिंङ्गों में से एक उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध दक्षिणामुखी महाकालेश्वर ज्योर्तिलिङ्ग की हर रोज तड़के होने वाली भस्म आरती शिव के योगी, वैरागी और ओढऱदानी चरित्र के दिव्य दर्शन और अलौकिक अनुभूति का शुभ काल होता है। 

देखिए, इस भस्म आरती की कुछ ऐसी ही दुर्लभ तस्वीरें-




भस्म आरती के दौरान महाकाल के दिव्य ज्योर्तिंलिंङ्ग को अर्पित की जाने वाली भस्म के दौरान भस्म रमाए भूत भावन महाकाल के स्वरूप में शिव पंचाक्षरी स्त्रोत में उजागर वह शिव चरित्र साक्षात प्रकट होता है, जिसमें महिमा है कि - नागेन्द्रहराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय। नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मै न कराय नम: शिवाय।।






भस्म आरती के दौरान यह क्षण तो हर भक्त के लिए शब्दों के जरिए प्रकट करना मुश्किल है, बल्कि मौजूद रहकर ही शिव भक्ति में डूब शब्दों से परे इस अलौकिक और आध्यात्मिक आनंद को महसूस किया जा सकता है। क्योंकि इस दौरान गर्भगृह में फैले अंधकार के बीच बस, आरती की जोत में होने वाले दिव्य ज्योर्तिलिंङ्ग के दर्शन जगदगुरु शिव के ज्ञान स्वरूप को साक्षात् प्रकट करता है। यह तस्वीर गत दिनों मनाए गए महाशिवरात्रि पर्व पर साल में एक बार दोपहर में होने वाली भस्म आरती का है, किंतु हर रोज ऐसे ही भस्म आरती में शिव के निराले स्वरूप के दर्शन होते हैं।

















परीक्षा चल रही है, बेहतर नतीजों के लिए बोलें यह विशेष गणेश मंत्र

इंसानी जीवन का हर पल परीक्षा की घड़ी मानी जाती है। इसलिए हर व्यक्ति के मन में सफलता की चाहत हमेशा रहती है और वह सफल सामाजिक, व्यावहारिक या व्यक्तिगत जीवन की कामना करता है। सफलता की ऊंचाईयों को छूने की कोशिशों का ऐसा ही अवसर होता है - परीक्षाओं का दौर। 

इसी कड़ी में विद्यार्थी और प्रतियोगियों के लिए अगर परीक्षा में सफलता  के लिए धार्मिक उपायों की बात आती है तो भगवान श्री गणेश को सबसे पहले स्मरण किया जाता है। 

श्री गणेश विघ्र विनाशक और संकटमोचक देवता है। इसलिए परीक्षाओं के अलावा अगर आप व्यवसाय, नौकरी, परीक्षा या मुकदमे में सफलता की चाह भी रखते हैं तो यहां बताया जा रहा है, श्री गणेश की उपासना का ऐसा मंत्र, जो परीक्षा में जाने से पूर्व हर रोज, खासतौर पर बुधवार के दिन जप करने पर मनचाही सफलता सुनिश्चित हो जाती है। 

- भगवान श्री गणेश की पूजा लाल चन्दन, 21 कनेर के फूल, दूर्वा, अक्षत चढ़ाकर और गुड़ व मोदक का भोग लगाकर करें। 

- पूजा के बाद पूर्व दिशा में बैठकर परीक्षा या मनचाहे काम में सफलता व बेहतर नतीजों की कामना के संकल्प के साथ लाल आसन पर बैठकर लाल चन्दन की माला से इस श्री गणेश मंत्र बोलें या वक्त होने पर कम से कम 108 बार जप करें। बाद गणेश आरती करें - 

ॐ वर वरदाय विजय गणपतये नम:।

हैरत में डाल देगी श्री गणेश से जुड़ी यह बात

हिन्दू धर्म में पंचदेवों को एक ही ईश्वर का अलग-अलग रूप और शक्तियां माना जाता है। यही कारण है कि जो व्यक्ति किसी भी कामना सिद्धि या हर काम में सफलता चाहता है, शास्त्रों के मुताबिक उसे एक नहीं बल्कि अनेक देवताओं की पूजा करना चाहिए। जिसके लिये श्री गणेश के संग सूर्यदेव, दुर्गा, शिव और श्री विष्णु की पूजा जरूरी बताई गई है। 

ऐसी स्थिति में जबकि किसी भक्त की पंचदेवों में ही गहरी आस्था हो तो सबसे पहले किस देवता की पूजा करे? क्योंकि सामान्यत: श्री गणेश को पहले पूजने की परंपरा है। इस संबंध में शास्त्रों में बताया गया है कि समान भक्ति भाव होने पर भक्त को सबसे पहले गणेश नहीं बल्कि सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए। यह बात उस परंपरा के विपरीत लगती है, जिसके मुताबिक श्री गणेश प्रथम पूज्य हैं। जानिए, शास्त्रों में लिखी एक रोचक बात। शास्त्र कहते हैं - 

रविर्विनायकश्चण्डी ईशो विष्णुस्तथैव च। 

अनुक्रमेण पूज्यन्ते व्युत्क्रमे तु महद् भयम्।। 

इसका अर्थ है उपासक को पंचदेवों में सबसे पहले भगवान सूर्य उनके बाद श्री गणेश, मां दुर्गा, भगवान शंकर और भगवान विष्णु को पूजना चाहिए। 

श्री गणेश का असली मस्तक कहां गया? नहीं, तो पढ़े

भगवान गणेश गजमुख, गजानन के नाम से जाने जाते हैं। क्योंकि उनका मुख गज यानी हाथी का है। भगवान गणेश का यह स्वरूप विलक्षण और बड़ा ही मंगलकारी है। आपने भी श्री गणेश के गजानन बनने से जुड़े पौराणिक प्रसंग सुने-पढ़े होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं या विचार किया है कि गणेश का मस्तक कटने के बाद उसके स्थान पर गजमुख तो लगा, लेकिन उनका असली मस्तक कहां गया? जानिए, उन प्रसंगों में ही उजागर यह रोचक बात...

ब्रह्माण्ड पुराण के मुताबिक जब माता पार्वती ने श्री गणेश को जन्म दिया, तब इन्द्र, चन्द्र सहित सारे देवी-देवता उनके दर्शन की इच्छा से उपस्थित हुए। इसी दौरान शनिदेव भी वहां आए, जो श्रापित थे कि उनकी क्रूर दृष्टि जहां भी पड़ेगी, वहां हानि होगी। उनकी उपस्थिति से पार्वती रुष्ट थी। फिर भी शनि देव की दृष्टि गणेश पर पड़ी और दृष्टिपात होते ही श्री गणेश का मस्तक अलग होकर चन्द्रमण्डल में चला गया। 

इसी तरह दूसरे प्रसंग के मुताबिक माता पार्वती ने अपने तन के मैल से श्री गणेश का स्वरूप तैयार किया और स्नान होने तक गणेश को द्वार पर पहरा देकर किसी को भी अंदर प्रवेश से रोकने का आदेश दिया। इसी दौरान वहां आए भगवान शंकर को जब श्री गणेश ने अंदर जाने से रोका, तो अनजाने में भगवान शंकर ने श्री गणेश का मस्तक काट दिया, जो चन्द्र लोक में चला गया। बाद में भगवान शंकर ने रुष्ट पार्वती को मनाने के लिए कटे मस्तक के स्थान पर गजमुख जोड़ा।

ऐसी मान्यता है कि श्री गणेश का असल मस्तक चन्द्रमण्डल में है, इसी आस्था से भी धर्म परंपराओं में संकट चतुर्थी तिथि पर चन्द्रदर्शन व अर्घ्य देकर श्री गणेश की उपासना व भक्ति द्वारा संकटनाश व मंगल कामना की जाती है।

महालक्ष्मी का स्वभाव कैसा है

व्यक्ति कड़ी मेहनत करता है तभी उसे धन की प्राप्ति होती है। कई बार धनी व्यक्ति गरीब हो जाता है तो कुछ गरीब लोग अमीर हो जाते हैं। ऐसा क्यों होता है, 

चला लक्ष्मीश्चला: प्राणश्चले जीवितमन्दिरे।

चलाऽचले च संसारे धर्म एको हि निश्चल:।।

धन की देवी महालक्ष्मी का स्वभाव चंचल होता है। हमारे प्राण भी चंचल ही है। जीवन तथा घर-द्वार भी चंचल स्वभाव के ही होते हैं। यहां तक कि ये संसार भी चंचल स्वभाव का ही है। केवल धर्म का स्वभाव ही अटल और अचल होता है।


महालक्ष्मी का स्वभाव चंचल होता है इसी वजह से रातोंरात कोई अमीर गरीब हो जाता है तो कोई कंगाल व्यक्ति अमीर हो जाता है। लक्ष्मी इसी स्वभाव के कारण हमेशा एक व्यक्ति के पास नहीं रहती है। जिस व्यक्ति के जैसे कर्म रहते हैं वैसी ही कृपा महालक्ष्मी उस व्यक्ति पर करती हैं।


इसी प्रकार व्यक्ति के प्राण भी चंचल होते हैं। जिस मनुष्य ने जीवन प्राप्त किया है उसे मृत्यु भी अवश्य प्राप्त होती है। ऐसा संभव नहीं है कि प्राण स्थिर हो जाए। कोई भी मनुष्य सदैव जवान नहीं सकता है, बुढ़ापा अवश्य आता है। इसी बात से स्पष्ट होता है कि हमारे प्राण भी चंचल स्वभाव के होते हैं।


ये संसार भी चंचल का स्वभाव माना गया है, कभी भी संसार एक जैसा नहीं रहता है। हर कुछ न कुछ परिवर्तन अवश्य होता है।


इंसान की मृत्यु के बाद केवल उसके कर्म का फल ही उसके साथ रहता है। इसीलिए हमें धार्मिक कार्य करते रहना चाहिए, इन्हीं कर्मों का पुण्य फल हमारा साथ देता है। धर्म ही अटल और अचल है।



दस गुना ज्यादा ताकत होती है इसमें...

जीवन के लिए तीन महत्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक है भोजन। भोजन से ही हमें जीने के लिए शक्ति और ऊर्जा मिलती है। खाने के लिए कई पदार्थ आसानी से उपलब्ध हैं। सभी खाद्य पदार्थों को मिलने वाली ऊर्जा और बल भी अलग-अलग होता है। किसी चीज में कम बल होता है तो किसी में ज्यादा। आचार्य चाणक्य ने बताया है किन चीजों में कितना बल रहता है-

अन्नाद्दशगुणं पिष्टं पिष्टाद्दशगुणं पय:।

पयसोऽष्टगुणं मांसं मांसाद्दशगुणं घृतम्।

इस श्लोक का अर्थ है कि खड़े अन्न से दस गुना अधिक बल पिसे हुए आटे में होते हैं। पिसे हुए आटे से भी दस गुना अधिक बल दूध में रहता है। दूध से भी आठ गुना अधिक बल मांस में रहता है और मांस से दस गुना अधिक बल घी में रहता है।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हमें खड़े अन्न की अपेक्षा पिसे हुए अन्न के आटे दस गुना अधिक शक्ति होती है। अत: पिसे हुए आटे का ज्यादा से ज्यादा खाने में प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही अन्न के आटे से भी दस गुना अधिक बल दूध में होता है। इसी लिए प्रतिदिन दूध पीना स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक लाभदायक रहता है। दूध से भी दस गुना अधिक बल मांस में होता है। जबकि मांस खाने से कहीं अधिक अच्छा है कि खाने में अधिक से अधिक घी का प्रयोग किया जाए। क्योंकि घी में मांस से भी दस गुना अधिक बल रहता है। घी अधिक पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक होता है।

आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई चाणक्य नीतियां आज भी हमारे लिए काफी कारगर है। इन नीतियों को जीवन में उतारने पर व्यक्ति सभी परेशानियों पर विजय प्राप्त करता है और लक्ष्य तक पहुंच जाता है। 




1. बाहुवीर्यबलं राज्ञो ब्राह्मणो ब्रह्मविद् बली। रूप-यौवन-माधुर्यं स्त्रीणां बलमनुत्तमम।। किसी भी राजा की शक्ति उसका स्वयं का बाहुबल है। ब्राह्मणों की ताकत उनका ज्ञान होता है। स्त्रियों की ताकत उनका सौंदर्य, यौवन और उनकी मीठी वाणी होती है।
2. कैसी लड़की से विवाह करना चाहिए और कैसी लड़की से नहीं, इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि- वरयेत् कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम। रूपशीलां न नीचस्य विवाह: सदृशे कुले।। आचार्य चाणक्य कहते हैं समझदार मनुष्य वही है जो विवाह के लिए नारी की बाहरी सुंदरता न देखते हुए मन की सुंदरता देखे। यदि कोई उच्च कुल या अच्छे परिवार की कुरूप कन्या सुंस्कारी हो तो उससे विवाह कर लेना चाहिए। जबकि कोई सुंदर कन्या यदि संस्कारी न हो, अधार्मिक हो, नीच कुल या जिसके परिवार वाले अच्छे न हो, जिसका चरित्र ठीक न हो तो उससे किसी भी परिस्थिति में विवाह नहीं करना चाहिए। विवाह हमेशा समान कुल में ही शुभ रहता है।
3. आचार्य चाणक्य कहते हैं जब भी शरीर पर तेल मालिश की जाए, शमशान से आने के बाद, हजामत बनवाने के बाद और स्त्री प्रसंग के बाद स्नान करना अनिवार्य माना गया है।
4. अनल विप्र गुरु धेनु पुनि, कन्या कुंवारी देत। बालक के अरु वृद्ध के, पग न लगावहु येत।। अग्नि, गुरु, ब्राह्मण, गौ, कुमारी कन्या, वृद्ध और बालक, इन सातों को कभी भी हमारे पैर नहीं लगना चाहिए।
5. द्वारपाल, सेवक, पथिक, समय क्षुधातुर पाय। भंडारी विद्यारथी, सोवत सात जगाय।। द्वारपाल, नौकर, राहगीर, भूखा व्यक्ति, भंडारी, विद्यार्थी और डरे हुए व्यक्ति को नींद में से तुरंत उठा देना चाहिए।
6. लक्ष्य कैसे प्राप्त किया जाए... इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि किसी भी कार्य की शुरूआत से पहले हमें खुद से तीन सवाल पूछने चाहिए। ये तीन सवाल ही लक्ष्य प्राप्ति में आ रही बाधाओं को पार करने में मददगार साबित होंगे। इसके साथ ही ये कार्य की सफलता भी सुनिश्चित करेंगे। ये तीन प्रश्न हैं- - मैं ये क्यों कर रहा हूं? - मेरे द्वारा किए जा रहे इस कार्य के परिणाम क्या-क्या हो सकते हैं? - मैं जो कार्य प्रारंभ करने जा रहा हूं, क्या मैं सफल हो सकूंगा?
7. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि... लुब्धमर्थेन गृöीयात् स्तब्धमंजलिकर्मणा। मूर्खं छन्दानुवृत्त्या च यथार्थत्वेन पण्डितम।। जो व्यक्ति धन का लालची है उसे पैसा देकर, घमंडी या अभिमानी व्यक्ति को हाथ जोड़कर, मूर्ख को उसकी बात मान कर और विद्वान व्यक्ति को सच से वश में किया जा सकता है।
8. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि- त्यजेद्धर्मं दयाहीनं विद्याहीनं गुरुं त्यजेत। त्यजेत्क्रोधमुखं भार्यां नि:स्नेहान् बान्धवांस्त्यजेत।। जिस धर्म में दया का उपदेश न हो, उस धर्म को छोड़ देना चाहिए। जो गुरु ज्ञानहीन हो उसे त्याग देना चाहिए। यदि पत्नी हमेशा क्रोधित ही रहती है तो उसे छोड़ देना चाहिए और जो भाई-बहन स्नेहहीन हो उन्हें भी त्याग देना चाहिए।
9. जीवन में सफलताएं प्राप्त करने के लिए कई बातों का ध्यान रखना अनिवार्य है। इस संबंध में आचार्य चाणक्य द्वारा कई सटीक सूत्र बताए गए हैं। इन्हीं से एक सूत्र ये है सर्प, नृप अथवा राजा, शेर, डंक मारने वाले जीव, छोटे बच्चे, दूसरों के कुत्ते और मूर्ख, इन सातों को नींद से नहीं जगाना चाहिए, ये सो रहे हैं तो इन्हें इसी अवस्था में रहने देना ही लाभदायक है।
10. शारीरिक बीमारियों का उपचार उचित दवाइयों से किया जा सकता है लेकिन मानसिक या वैचारिक बीमारियों का उपचार किसी दवाई से होना संभव नहीं है। इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने सबसे बुरी बीमारी बताई है लोभ। लोभ यानि लालच। जिस व्यक्ति के मन में लालच जाग जाता है वह निश्चित ही पतन की ओर दौड़ने लगता है। लालच एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज आसानी से नहीं हो पाता। इसी वजह से आचार्य ने इसे सबसे बड़ी बीमारी बताया है।

सुबह और सोने से पहले बोलें यह हनुमान मंत्र, भेद देंगे हर लक्ष्य




श्री हनुमान महायोगी और साधक हैं। श्री हनुमान के चरित्र के ये गुण संकल्प, एकाग्रता, ध्यान व साधना के सूत्रों से जीवन के लक्ष्यों को पूरा करने की सीख देते हैं। इस संदेश के साथ कि अगर तन, मन और कर्म को दृढ़संकल्प, नियम और अनुशासन से साध लिया जाए तो फिर कोई भी बड़ा या कठिन लक्ष्य पाना बेहद आसान है।

हर दिन असफलता व निराशा को पीछे धकेल, जीवन से जुड़े नए-नए लक्ष्यों को भेदने के लिए अगर शास्त्रों में बताए श्री हनुमान चरित्र के अलग-अलग 12 स्वरूपों का ध्यान एक खास मंत्र स्तुति से किया जाए तो हर दिन बहुत ही सफल, शुभ व मंगलकारी साबित हो सकता है।

जानिए धर्मग्रंथों में बताई यह खास हनुमान मंत्र स्तुति। इसे मंगलवार, शनिवार या हनुमान उपासना के खास अवसरों के अलावा हर रोज सुबह या रात को सोने से पहले स्मरण करना न चूकें -

हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।

रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोमितविक्रम:।।

उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।

लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।

एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।

स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।

तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।।

इस खास मंत्र स्तुति में श्री हनुमान के 12 नाम, उनके गुण व शक्तियों को भी उजागर करते हैं । ये नाम है - हनुमान, अञ्जनीसुत, वायुपुत्र, महाबली, रामेष्ट यानी श्रीराम के प्यारे, फाल्गुनसख यानी अर्जुन के  साथी, पिङ्गाक्ष यानी भूरे नयन वाले, अमित विक्रम, उदधिक्रमण यानी समुद्र पार करने वाले, सीताशोकविनाशक, लक्ष्मणप्राणदाता और दशग्रीवदर्पहा यानी रावण के दंभ को चूर करने वाले।  
 

गुप्त नवरात्रि, भाग्य चेता देगी 9 रात इन 9 देवियों की पूजा

हिन्दू धर्मग्रंथ उजागर करते हैं कि शक्ति ही संसार का कारण है, जो अनेक रूपों में हमारे अंदर और चारों ओर चर-अचर, जड़-चेतन व सजीव-निर्जीव सभी में अनेक रूपों में समाई है। शक्ति के इसी महत्व को जानते हुए हिन्दू धर्म के शास्त्र-पुराणों में शक्ति उपासना व जागरण की महिमा बताई गई है। इससे मर्यादा और संयम के द्वारा शक्ति संचय व सदुपयोग का संदेश जुड़ा है। 

धार्मिक परंपराओं में नवरात्रि के रूप में प्रसिद्ध इस विशेष घड़ी में शक्ति की देवी के रूप में पूजा होती है। इनमें शक्ति के 3 स्वरूप महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती प्रमुख रूप से पूजनीय है, जिनको बल, वैभव और ज्ञान की देवी माना गया है। 

इसी तरह धर्मग्रंथों में सांसारिक जीवन में अलग-अलग रूपों में शक्ति संपन्नता के लिए शक्ति के 9 स्वरूपों यानी नवदुर्गा की पूजा का महत्व बताया गया है। नवदुर्गा का अर्थ है दुर्गा के 9 स्वरूप। दुर्गा को दुर्गति का नाश करने वाली कहा जाता है। शक्ति उपासना के लिए साल की चार नवरात्रियों (चैत्र, अश्विन, आषाढ और माघ माह) में नवदुर्गा पूजा का महत्व बताया गया है। इनमें आषाढ़ (20 जून से शुरू) व माघ माह के शुक्ल पक्ष से शुरू होने वाली देवी पूजा की 9 दिवसीय घड़ी गुप्त नवरात्री के रूप में प्रसिद्ध है। इनमें खासतौर पर तंत्र उपायों से सिद्धियों को पाने के लिए देवी साधना का महत्व है। 

 मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि की 9 रातों में 9 शक्तियों वाली दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा अलग-अलग कामनाओं को पूरा कर रातों-रात बलवान, बुद्धिमान और धनवान बना देती है। गुप्त नवरात्रि की 9 रात किस देवी के अद्भुत स्वरुप की भक्ति कौन-सी इच्छा पूरी कर सुख-सौभाग्य देने वाली होगी-  




शैलपुत्री - नवरात्रि की पहली रात मां शैलपुत्री की उपासना की जाती है। माता का यह रूप कल्याणी भी पुकारा जाता है। इनकी उपासना से सुखी और निरोगी जीवन मिलता है।









ब्रह्मचारिणी- नवरात्रि के दूसरी रात तपस्विनी रूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इनकी उपासना से पुरूषार्थ, अध्यात्मिक सुख और मोक्ष देने वाली होती है। सरल शब्दों में प्रसन्नता, आनंद और सुख के लिए इस शक्ति की साधना का महत्व है।






चंद्रघंटा - नवरात्रि की तीसरी रात नवदुर्गा के तीसरी शक्ति चंद्रघंटा को पूजा जाता है। इनकी भक्ति जीवन से सभी भय दूर करने वाली मानी गई है।


कूष्मांडा - नवरात्रि के चौथी रात मां कूष्मांडा की उपासना का महत्व है। यह उपासना भक्त के जीवन से कलह, शोक का अंत कर लंबी उम्र और सम्मान देने वाली होती है।




स्कंदमाता - नवरात्रि के पांचवी रात स्कन्दमाता की पूजा की जाती है। माता की उपासना जीवन में प्रेम, स्नेह और शांति लाने वाली मानी गई है।


कात्यायनी -नवरात्रि के छठी रात मां कात्यायनी की पूजा का महत्व है। माता की पूजा व्यावहारिक जीवन की बाधाओं को दूर करने के साथ तन और मन को ऊर्जा और बल देने वाली मानी गई है।








कालरात्रि - नवरात्रि के सातवी रात दुर्गा के तामसी स्वरूप मां कालरात्रि की उपासना की जाती है, किंतु सांसारिक जीवों के लिये यह स्वरूप शुभ होने के साथ काल से रक्षा करने वाला माना गया है। इनकी उपासना पराक्रम और विपरीत हालात में भी शक्ति देने वाला होता है।


महागौरी - नवरात्रि के आठवी रात महागौरी की पूजा की जाती है। मां का यह करूणामयी रूप है। इनकी उपासना भक्त को अक्षय सुख देने वाली मानी गई है।


सिद्धिदात्री - नवरात्रि के अंतिम या नौवी रात मां सिद्धिदात्री की उपासना का महत्व है। इनकी उपासना समस्त सिद्धि देने वाली होती है। व्यावहारिक जीवन के नजरिए से ज्ञान, विद्या, कौशल, बल, विचार, बुद्धि में पारंगत होने के लिए माता सिद्धिदात्री की उपासना बहुत ही प्रभावी होती है।