Tuesday, July 31, 2012

इस बार राखी बांधने से पहले आपको शुभ नक्षत्र देखने की जरुरत नहीं पड़ेगी

 इस बार भाई की कलाई पर राखी बांधने से पहले आपको शुभ नक्षत्र देखने की जरुरत नहीं पड़ेगी क्योंकि इस बार रक्षा बंधन (2 अगस्त, गुरुवार) के पूरे दिन श्रवण नक्षत्र का योग रहेगा। ज्योतिषियों के अनुसार इस बार भद्रा नक्षत्र का योग न होने से पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी। यह योग सबके लिए शुभ व सुख-समृद्धि दायक रहेगा। भद्रा की ये स्थिति 2007 में भी बनी थी, उस वर्ष भी रक्षाबंधन पर्व पर पूरे दिन भद्रा नहीं थी।

ज्योतिष के अनुसार इस बार 1 अगस्त, बुधवार की रात 10 बजकर 49 से श्रवण नक्षत्र प्रारंभ होगा जो 2 अगस्त, गुरुवार की रात 10 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। इस तरह श्रावण पूर्णिमा यानी रक्षा बंधन के दिन करीब 24 घंटे श्रवण नक्षत्र का योग बन रहा है। रक्षा बंधन पर विशेष बात यह है कि इस बार भद्रा नक्षत्र न होने से पूरे दिन कभी भी राखी बांधी जा सकेगी। ऐसा कम ही होता है जब रक्षा बंधन के दिन भद्रा नक्षत्र का योग न बनता हो। सालों बाद ऐसा शुभ योग इस राखी पर बन रहा है। 

क्या होता है श्रवण व भद्रा नक्षत्र ?

श्रवण नक्षत्र श्रावण (सावन) की पूर्णिमा के दिन पूर्ण चंद्रमा से संयोग करता है इसलिए हिंदू धर्म में इस महीने को श्रावण कहते हैं। 27 नक्षत्रों में से एक श्रवण नक्षत्र को अति शुभ माना गया है क्योंकि इसके आराध्य भगवान विष्णु हैं। श्रवण नक्षत्र सभी प्रकार के अवरोधों को समाप्त कर सभी कार्यों को शुभ बनाता है।

इसके विपरीत भद्रा नक्षत्र को शुभ कामों के लिए अच्छा नहीं माना जाता। इस नक्षत्र में किए गए शुभ काम फलदाई नहीं होते। राखी पर अक्सर भद्रा नक्षत्र का योग बनता है इसलिए इस दिन राखी बांधते समय शुभ नक्षत्र अवश्य देखा जाता है।

महिलाएं करेंगी श्रवण पूजन

श्रवण नक्षत्र के समय महिलाएं परंपरानुसार घर के बाहर गाय के गोबर व लाल गेरु से श्रवण कुमार की कृति बनाकर पूजन कर उन पर रक्षासूत्र अर्पित करेंगी। यह पूजन सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है।

Spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Post your photo on Followers for Guru mantar Deksha / Sadhna procedure and pran pratishtia yantar or mala . chaudhary21@airtelmail.in

संतान चाहिए तो सोमवार को करें यह टोटका


 भगवान शंकर के समान अन्य कोई देव नहीं हैं। भक्त से प्रसन्न होने पर वे उसकी हर मनोकामना पूरी कर देते हैं। सावन महीने में किए गए विशेष उपाय व टोटकों से शिव और भी प्रसन्न होते हैं। जिन दंपत्तियों के यहां संतान नहीं है वे यदि सावन के महीने में किसी भी सोमवार के दिन नीचे लिखा टोटका करें तो उन्हें शीघ्र ही संतान की प्राप्ति होती है।

टोटका

सावन महीने के किसी भी सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर नहाकर, साफ वस्त्र पहनकर भगवान शिव का पूजन करें। इसके पश्चात गेहूं के आटे से ग्यारह शिवलिंग बनाएं। अब प्रत्येक शिवलिंग का शिवमहिम्नस्त्रोत से जलाभिषेक करें। इस प्रकार ग्यारह बार जलाभिषेक करें। उस जल का कुछ भाग पति-पत्नी प्रसाद के रूप में ग्रहण करें और शेष जल किसी नदी या तालाब में प्रवाहित कर दें। इसके बाद गर्भ की रक्षा के लिए गर्भगौरी रुद्राक्ष भी धारण करें। 

तंत्र शास्त्र के अनुसार यह टोटका सही तरीके से करने पर शीघ्र ही संतान की प्राप्ति होती है।
Spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Post your photo on Followers for Guru mantar Deksha / Sadhna procedure and pran pratishtia yantar or mala . chaudhary21@airtelmail.in

चाहिए सक्सेस तो आज करें ये आसान उपाय


सावन में किए गए टोटके बहुत ही प्रभावशाली होते हैं क्योंकि तंत्र के देवता शिव हैं और सावन का महीना भगवान शिव को विशेष प्रिय है। अगर आप जीवन में सक्सेस होना चाहते हैं तो इसके लिए आप सावन के महीने में किसी भी सोमवार को नीचे लिखा उपाय करें। इस उपाय से आपको लाइफ में सक्सेस जरुर मिलेगी।

उपाय

-  यह उपाय सावन महीने के किसी भी सोमवार को कर सकते हैं।

- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं।

 - दूध चढ़ाते समय मन ही मन ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप भी करते रहें। इसके बाद भगवान शिव से जीवन में सफलता का आशीर्वाद मांगे। ध्यान रहे कि दूध की धार तब तक टूटनी नहीं चाहिए जब तक कि आपकी प्रार्थना पूरी न हो जाए।

- अंत में चंदन से शिवलिंग का पूजन कर मावे की मिठाई के साथ पांच किशमिश, पांच पताशे व लौंग का जोड़ा चढ़ाएं। फिर हाथ जोड़कर घर आ जाए। आपको सफलता अवश्य मिलेगी।


Spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Post your photo on Followers for Guru mantar Deksha / Sadhna procedure and pran pratishtia yantar or mala . chaudhary21@airtelmail.in

कर्ज से जल्दी छुटकारा चाहिए तो करें ये


 आज आधुनिक सुख-सुविधाओं के आकर्षण के चलते सभी लोग इन्हें प्राप्त करने के लिए कई प्रकार की कोशिशें कर रहे हैं। इन सभी सुविधाओं को जुटाने के लिए काफी धन की आवश्यकता है। आय सामान्य रहने पर व्यक्ति कर्ज लेकर इन सुविधाओं को प्राप्त करता है, परंतु कई लोग इस लोन को चुका नहीं पाते और अधिक उलझ जाते हैं। कर्ज एक ऐसा दलदल है, जिसमें एक बार फंसने पर व्यक्ति उसमें धंसता ही चला जाता है।

ज्योतिष शास्त्र में षष्ठम, अष्टम, द्वादश स्थान एवं मंगल ग्रह को कर्ज का कारक ग्रह माना जाता है। मंगल के कमजोर होने पर या पापग्रह से संबंधित होने पर, अष्टम, द्वादश, षष्ठम स्थान पर नीच या अस्त स्थिति में होने पर व्यक्ति सदैव ऋणी बना रहता है। ऐसे में यदि उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़े तो कर्ज तो होता है पर वह बड़ी मुश्किल से उतरता है। शास्त्रों में मंगलवार और बुधवार को कर्ज के लेन-देन के लिए निषेध किया है। मंगलवार को कर्ज लेने वाला जीवनभर कर्ज नहीं चुका पाता तथा उस व्यक्ति की संतान भी इस वजह से परेशानियां उठाती है।

कर्ज निवारण से मुक्ति के लिए उपाय...

- शनिवार को ऋणमुक्तेश्वर महादेव का पूजन करें।

- मंगल की भातपूजा, दान, होम और जप करें।

- मंगल एवं बुधवार को कर्ज का लेन-देन न करें।

- लाल, सफेद वस्त्रों का अधिकतम प्रयोग करें।

- श्रीगणेश को प्रतिदिन दूर्वा और मोदक का भोग लगाएं।

- श्रीगणेश के अथर्वशीर्ष का पाठ प्रति बुधवार को करें।

- शिवलिंग पर प्रतिदिन कच्चा दूध चढ़ाएं।
 
Spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Post your photo on Followers for Guru mantar Deksha / Sadhna procedure and pran pratishtia yantar or mala . chaudhary21@airtelmail.in

शास्त्रों के अनुसार हार-फूल चढ़ाते समय ध्यान रखें ये बात.

 शास्त्रों के अनुसार भगवान, ईश्वर या परमात्मा, देवी-देवताओं के नाम अनेक है लेकिन शक्ति एक है। ऐसा माना जाता है कि यही शक्ति दुनिया का संचालन कर रही है। इसी वजह से सभी परमात्मा के सामने शीश झुकाते हैं। जीवन से जुड़ी हर समस्या का समाधान ईश्वर की भक्ति, पूजा-अर्चना से हो जाता है। भगवान की पूजा में देवी-देवतााओं की प्रतीक मूर्तियां या फोटो रखे जाते हैं। इन मूर्तियों और फोटो पर पुष्प आदि चढ़ाए जाते हैं। ऐसे में ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी प्रकार से भगवान की मूर्ति या फोटो का चेहरा ना छिप जाए।

भगवान को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय है पूजन। सामान्यत: पूजन में हार-फूल अर्पित करते समय भगवान की मूर्ति या फोटो का चेहरा छिप जाता है। मूर्ति छोटी होती है और हार-फूल अधिक होते हैं जिस वजह से प्रतिमा भी छिप जाती है। शास्त्रों के अनुसार इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रतिमा का मुख हमेशा हमारे सामने रहे। यदि कोई पुष्प या हार भगवान के चेहरे पर आ जाता है तो उसे हटा देना चाहिए। पूजन कार्य में बहुत जरूरी है कि भक्त को भगवान के चेहरे के दर्शन लगातार होते रहे। ऐसा होने पर ही पूजन के बाद मन को शांति मिलती है।

भगवान के दर्शन मात्र से ही हमारे कई जन्मों के पाप स्वत: नष्ट हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है भगवान के नित्य दर्शन से हमारे सभी कार्य सफल हो जाते हैं। अत: घर में जहां भी भगवान की मूर्तियां या फोटो हों उनका चेहरा हमें साफ-साफ दिखाई देना चाहिए। ताकि देवी-देवताओं के दर्शन हर पल होते रहे।

Spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Post your photo on Followers for Guru mantar Deksha / Sadhna procedure and pran pratishtia yantar or mala . chaudhary21@airtelmail.in

Saturday, July 28, 2012

घर के बाहर शुभ चिह्न बनाना

पुराने समय से ही घर में सुख-शांति और समृद्धि बनाए रखने के लिए कई प्रकार की परंपराएं प्रचलित हैं। इन्हीं में से एक परंपरा है घर के बाहर शुभ चिह्न बनाना। शास्त्रों के अनुसार कई तरह के शुभ चिह्न बताए गए हैं जो घर-परिवार से परेशानियों को दूर रखते हैं।









महालक्ष्मी की कृपा दिलवाने वाले चिन्हों में स्वस्तिक, ऊँ, ऊँ नम: शिवाय, श्री, श्रीगणेश आदि शामिल हैं।


परिवार के सभी सदस्यों के अच्छे जीवन के लिए जरूरी है कि घर के मुख्य द्वार पर कोई ना कोई शुभ चिन्ह अवश्य बनाया जाए। कुछ चिन्ह मुख्य द्वार पर या दीवार पर ऊपर की ओर लगाए जाते हैं लेकिन कुछ चिन्ह दरवाजे के नीचे भी बनाए जाते हैं।


घर में समृद्धि तभी बनी रहेगी जब सदस्यों के पास पर्याप्त धन हो और धन महालक्ष्मी की कृपा से ही प्राप्त होता है। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के कई उपाय बताए गए हैं इन्हीं में से एक है देवी के पैरों के निशान मुख्य द्वार के जमीन पर लगाना।




मुख्य द्वार के नीचे बाहर की ओर देवी लक्ष्मी के लाल रंग चरणों के चिह्न बनाए जाते हैं। इससे सभी देवी-देवताओं की शुभ दृष्टि हमारे घर और सदस्यों पर सदैव बनी रहती है।


ज्योतिष के अनुसार महालक्ष्मी के चरण चिह्न से अशुभ ग्रहों का बुरा प्रभाव भी कम होता है।


महालक्ष्मी के चरण चिह्न से हमारे घर पर किसी की बुरी नजर नहीं लगती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। सभी सदस्यों में पॉजीटिव एनर्जी का संचार होता है।


Spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Post your photo on Followers for Guru mantar Deksha / Sadhna procedure and pran pratishtia yantar or mala . chaudhary21@airtelmail.in

Friday, July 27, 2012

कैसा रहेगा आपके लिए ,100 साल बाद नागपंचमी पर दुर्लभ कालसर्प योग,


कालसर्प और नागपंचमी का योग बहुत ही दुर्लभ होता है और बहुत खास भी। वैसे तो ये योग कभी-कभी कुछ सालों में बन जाता है। जैसे 2008 में बना था लेकिन नीच राशि में स्थित राहु-केतु के साथ बनने वाला कालसर्प योग व नाग पंचमी का संयोग 93 साल बाद बन रहा है ये विशेष दुर्लभ योग बड़ा असर देने वाला रहेगा। इससे पहले नीच राशि का ये कालसर्प योग 10 जुलाई 1919 को बना था लेकिन तब भी ये योग शनिवार को नहीं बना। 

ये घटना बहुत ही दुर्लभ है। पिछले 100 से अधिक सालों में ऐसा देखने में नहीं आया कि शनिवार को शुरू होने वाले कालसर्प योग जिसमें राहु-केतु अपनी नीच राशि में रहेंगे और इसी कालसर्प में नागपंचमी का पर्व आ रहा है।

राहु और केतु के कारण कालसर्प योग बनता है। राहु और केतु शनि के दोनों हाथ हैं। शनि किसी को कर्मो का फल देता है तो राहु और केतु के द्वारा ही देता है। शनिवार को ही राहु और केतु के कालसर्प योग बनने और इस कालसर्प योग में नागपंचमी का पर्व आने के कारण ये घटना बहुत बड़ी और असरदार रहेगी।क्या होगा देश दुनिया में- राहु-केतु परेशानियां और दुर्घटनाओं के कारक होते हैं। वर्तमान में देश-दुनिया के स्तर पर देखा जाए तो कर्कोटक नाम का कालसर्प दोष बन रहा है जो बहुत अशुभ माना जाता है। इस कालसर्प से देश-दुनिया में कई बड़े बदलाव होने के योग बनेंगे। भारत की कुंडली में कालसर्प योग बन रहा है लेकिन वह उच्च राशि में बन रहा है यानि राहु और केतु दोनों अपनी उच्च राशि में हैं। वहीं वर्तमान में नीच राशि का कालसर्प योग बनेगा। यह योग भारत के लिए प्रतिकूल फल देने वाला रहेगा। भारत के लिए ये योग अशुभ संकेत देने वाला रहेगा। भारत के पड़ोसी देशों से संबंध खटाई में पड़ सकते हैं। राहु-केतु रेल दुर्घटना या कोई बड़ी दुर्घटना की ओर इशारा कर रहे हैं। इस कालसर्प में देश-दुनिया में कहीं कोई प्राकृतिक आपदा आने का योग बन रहा है। भारत के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में तेज बारिश होने के योग हैं। सीमा रेखा पर तनाव होने के योग बन रहे हैं। अपने देश की सीमाओं से जुड़े राष्ट्रों में भी तनाव की स्थिति पैदा होगी। केंद्र सरकार की अस्थिरता और देश में अशांति की स्थिति बनेगी। चूंकि राहु और केतु दोनो पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव को संचालित करते हैं और राहु मुख्य रूप से भूकंप का कारक भी होता है। इसलिए देश-दुनिया में इस समय प्राकृतिक आपदाएं, भूकंप और बारिश की असामान्य स्थिति बनेगी और अल्प वृष्टि के योग बनेंगे। उत्तर-पूर्वी राज्यों और समुद्री तटों वाले स्थान विशेष प्रभावित रहेंगे। धार्मिक विचारधारा और साधु-संतो के लिए भी समय प्रतिकूल रहेगा। बड़े संत-महात्माओं के कारण धर्म और आस्थाओं को ठेस पहुंचेगी। राजनैतिक उठा-पठक रहेगी। शेयर-बाजार की स्थिति कमजोर रहेगी। मूल्यवान धातुओं पर विदेशी निवेश का प्रभाव रहेगा। तकनीकी क्षेत्र में विकास होगा, महत्वपूर्ण निर्णय मध्य प्रदेश पर प्रभावी रहेंगे।क्या होता है कालसर्प दोष- सौर मंडल में सात ग्रह हैं। सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि इसके अलावा दो छाया ग्रह राहु और केतु है। ज्येातिष की भाषा में राहु को सांप का मुंह माना जाता है और केतु को सांप की पूंछ। किसी भी व्यक्ति की जन्मकुंडली में जब राहु-केतु के बीच में सारे ग्रह आ जाते हैं तो वह कुंडली कालसर्प दोष से ग्रस्त मानी जाती है। काल सर्प दोष अनिर्णय या असमंजस की स्थिति पैदा करता है। इससे पीड़ित व्यक्ति महत्वपूर्ण मौकों पर निर्णय लेते समय गफलत की स्थिति में आ जाता है और इससे उसका नुकसान हो जाता है। काल का अर्थ समय और सर्प का मतलब ग्यारह रुद्रों को माना जाता है, विभिन्न लोगों ने अपने-अपने विवेक और बुद्धि से कालसर्प योगों की व्याख्या की है, लेकिन भूतडामर तंत्र के अनुसार कालसर्प का पूरा ब्यौरा भगवान रुद्र (शिव) के प्रति ही माना गया है, इस प्रकार का दोष ही भगवान शिव के द्वारा अभिशापित माना जाता है, जिस प्राणी को जो सजा देनी होती है उसे उसी के अनुसार कालसर्प दोष होता है। कुछ विद्वानों ने कुंडली के पहले भाव को विष्णु और बाकि ग्यारह भावों को एकादश रूद्र का रूप माना है। ग्यारह रूद्रों के नामों के अनुसार कालसर्प दोषों को बांटा गया है।कितने तरह के होते हैं कालसर्प दोष- कुंडली में खास तौर से बारह तरह के कालसर्प दोष बताए गए हैं। मतभेद के अनुसार कुछ विद्वानों के मतानुसार कालसर्प 3456 प्रकार के होते हैं। इनमें से कर्कोटक, विषधर, घातक और शंखचूड़ यह सबसे दुष्प्रभावी कालसर्प योग होते हैं। बाकी के कालसर्प योग कम नुकसान दायक होते हैं। इनका पूजन पाठ कराने से ये शांत हो जाते हैं। कालसर्प दोष जिस व्यक्ति को होता है। वह हमेशा असमंजस में रहता है तथा कोई कार्य ठीक ढंग़ से नही कर पाता हमेशा भयग्रस्त रहता है। कुछ विद्वानों ने रूद्र और नाग लोक के नागों के नाम पर कालसर्प योग के नाम बताए हैं। विष्णु अथवा अनन्त अजैकपाद अथवा कुलिक अहिर्बुन्ध अथवा वासुकि कपाली या शंखपाल हर या पद्म बहुरूप या महापद्म त्र्यम्बक या तक्षक अपाराजित या करकट वृषाकपि या शंखचूड़ शम्भु या घातक कपर्दी या विषधर रैवत या शेषनाग किस राशि वालों के लिए रहेगा शुभ- मेष, मिथुन, सिंह, वृश्चिक, मकर, मीन किसके लिए रहेगा अशुभ- कन्या, तुला, कुंभ किसके लिए रहेगा सामान्य- वृष, कर्क, धनु मेष (चु, चे, चो, ला, ली, लू, ल, लो, अ)- शुभ मेहनत और पुरुषार्थ से उन्नति के योग बनेंगे। यश, धन, प्रतिष्ठा और मान और सम्मान में वृद्धि होगी। शत्रुओं पर विजय, पेट संबंधित परेशानियां, कानूनी विजय, मानसिक अशांति, शेयर बाजार से जुड़े मुद्दों में सफलता और व्यवसायियों के लिए समय अनुकूल रहेगा। वृष ( इ, उ, ऐ, ओ, व, वि, वू, वे, वो ) - सामान्य नई योजनाओं में निवेश के लिए समय अशुभ रहेगा। जोखिम से बचें। संतान की ओर से प्रतिकूलता रहेगी। दंत और मुख के रोग होने के योग बनेंगे। संतान की ओर से प्रतिकूलता रहेगी। अचानक धन लाभ के योग बन रहे हैं। व्यवसायिक अवसर समक्ष आएंगे लेकिन निर्णय में असहजता होगी। निजी संबंध प्रेम पूर्ण और सहयोग पूर्ण रहेंगे। मिथुन ( का, की, कू, घ, ङ:, छ, के, को, ह )- शुभ समय शुभ रहेगा लेकिन मानसिक रूप से परेशान होंगे। धन हानि से बचें। माता के लिए समय प्रतिकूल रहेगा। कार्यक्षेत्र में पदोन्नति का योग तो है लेकिन विरोधी परेशान करते रहेंगे। भूमि-भवन और वाहन का संयोग बनेगा। ठेकेदारों और व्यवसायियों के लिए समय शुभ रहेगा। कर्क ( हि, हु, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो ) -सामान्य यह समय थोड़ा अनुकूल और थोड़ा प्रतिकूल रहेगा। योजनाएं धीमी गति से पूरी होगी। अचानक यात्राओं का योग बनेगा। बदलावरों का प्रतिरोध न करें। दोस्तों से फायदा होगा। नई ऊर्जा का संचार होगा। लेखकों, बुद्धिजीवियों, कवि और प्रोफेसरों के लिए समय शुभ रहेगा। सिंह ( मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे ) - शुभ व्यवसाय के क्षेत्र में शुभ अवसर सामने आएंगे। अचानक धन लाभ के योग बनेंगे। वाकचातुर्यता से लाभ उठाएंगे। दोस्तों से सहयोग मिलेगा। निवेश के लिए समय शुभ रहेगा। माता का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। शेयर बाजार से जुड़े लोगों के लिए समय शुभ रहेगा। कन्या ( टा, पा, पी, पू, षा, ण, ठ, पे, पो ) - अशुभ स्वास्थ्य के लिए प्रतिकूल समय है। अचानक हानि और दुर्घटना का योग बनेगा। जोखिम न लें। आर्थिक हानि हो सकती है। पथरी का रोग सामने आ सकता है। वाणी का उपयोग सावधानी से करें। कोई उसका गलत फायदा उठा सकता है। छोटी- मोटी यात्राओं का योग बनेगा। पुरानी योजना और पुराने मित्र काम आएंगे। कार्यक्षेत्र में सूक्ष्म बदलाव आएंगे। तकनिकी और संचार क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए समय शुभ रहेगा। तुला ( रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते ) -अशुभ समय अच्छा नहीं रहेगा। अचानक हानि और यात्राओं का योग बन रहा है। जोखिम न लें, आर्थिक हानि होने के योग बन रहे हैं। भूमि-भवन और वाहन में धन हानि होने के योग बन रहे हैं। वैवाहिक जीवन में परिस्थितियां प्रतिकूल रहेगी। बड़े निर्णयों को टाल दें तो आपके लिए अच्छा रहेगा। वाणी संयम आवश्यक है। आयात-निर्यात के क्षेत्र वालों के लिए समय शुभ है। वृश्चिक ( तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यूं ) -शुभ दंत और मुख संबंधित रोग होने के योग बन रहे हैं। स्वास्थ्य हानि तो होगी लेकिन आर्थिक लाभ होने के योग बन रहे हैं। पैसा आने लगेगा। उच्चस्थ पदाधीकारियों से संबंध अच्छे बनेंगे। सहयोग और समन्वय बना रहेगा। अचानक यात्राओं का योग बनेगा। नए लोगों से मेलजोल बनेगा। रूका हुआ पैसा वापस मिलेगा। राजनीति वालों के लिए समय शुभ रहेगा। धनु ( ये, यो, भा, भी, भू, ध, फ, ढ, भे ) - सामान्य अविवाहितों के लिए विवाह प्रस्ताव आएंगे। कार्यक्षेत्र में सफलता, पेतृक व्यवसाय में लाभ होगा। अनचाहे निर्णय लेने पड़ सकते हैं। महत्वपूर्ण वस्तु गुम हो जाने के योग बन रहे हैं सावधान रहें। उस वस्तु के रूप में कोई जरूरी दस्तावेज भी गुम हो सकते हैं। स्थितियों को सकारात्मक दृष्टि से देखें। अभिनय के क्षेत्र वालों के लिए समय शुभ रहेगा। मकर ( भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, ग, गी ) - शुभ त्रिकोणिय व्यापार की स्थितियां निर्मित होगीं। बाहरी स्थानों से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आप सही दिशा में कदम आगे बढ़ाएंगे। अंतर्मन की आवाज सुनें और फिर कोई निजी या व्यवसायिक मामलों में कोई कदम बढ़ाएं। आप सफल होंगे। धन लाभ के योग बनेंगे। सोचे हुए काम पूरे होंगे। शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के ये समय शुभ रहेगा। कुंम्भ ( गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा ) - अशुभ इस राशि वालों के समय प्रतिकूल फल देने वाला रहेगा। कुंभ राशि के लोग परेशान हो सकते हैं। निजी संबंधों में परेशानियां पैदा हो सकती है। विभिन्न स्थितियों में कई भूमिकाएं एक साथ निभाना पड़ सकती है। दूसरों से सराहना मिलेगी। किसी पुराने व्यक्ति से मिलना संभव है। महत्वपूर्ण दक्षिण दिशा की यात्रा होगी। मानसिक रूप से शांत रहें। तेल मशीन, पुरातत्व और इतिहासकारों के लिए समय शुभ है। मीन ( दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची ) - शुभ चतुराई और कौशल से व्यवसायिक क्षेत्रों में परियोजनाओं में सफल होंगे लेकिन अनिर्णय की स्थिति बनी रहेगी। दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ें। साझेदारी संबंधी घटनाक्रम बनेगा। वैवाहिक जीवन में प्रतिकूलता की स्थिति पैदा हो सकती है। जीवनसाथी का स्वास्थ्य प्रभावित होगा। धैर्य और लगातार प्रयास करते रहने की क्षमता से आप लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होंगे। डॉक्टर, वकीलों और शासकीय कर्मचारियों के लिए समय शुभ है।राशि अनुसार नाग पंचमी पर करे कालसर्प दोष के उपाय- मेष- इस राशि के लोग कालसर्प से बचने के लिए बैल को जौ खिलाएं। वृषभ- वृष राशि के लोग किसी मंदिर या धर्म स्थल पर सफेद ध्वजा चढ़ाएं। मिथुन- मिथुन राशि के लोग गाय को हरे मूंग खिलाएं। कर्क- पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें और शिवलिंग के नाग की पूजा करें। सिंह- सिंह राशि के लोग एक मुठ्ठी जौ को गोमूत्र से धोकर लाल कपड़े में बांधे और अपने ही घर में किसी वजनदार वस्तु के नीचे दबाएं। कन्या- इस राशि के लोग हाथी दांत से बनी कोई वस्तु हमेशा अपने पास रखें। तुला- हनुमान जी को रक्त चंदन यानी लाल चंदन चढ़ाएं। वृश्चिक- इस राशि के लोग गोमूत्र पीएं और गौमूत्र से स्नान भी करें। धनु- धनु राशि वालों को इस कालसर्प योग में बहते पानी में जौ प्रवाहित करने चाहिए। मकर- मकर राशि के लोग रूद्राभिषेक करें और खुद रूद्र पाठ भी करें तो अच्छा है। कुंभ- रात में सिरहाने एक कटोरी दूध रखें और सुबह वो दूध कुत्ते को पीला दें। मीन- मीन राशि के लोग मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं। या दानें डालें। किस कालसर्प के लिए क्या उपाय करें- अनन्त - अनन्त कालसर्प दोष होने पर किसी शुभ वार को एकमुखी, आठमुखी या नौमुखी रुद्राक्ष धारण करें। - यदि स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है तो रांगे से बना सिक्का पानी में प्रवाहित करें। कुलिक - कुलिक नामक कालसर्प दोष होने पर दो रंग वाला कंबल अथवा गर्म वस्त्र दान करें। - चांदी की ठोस गोली बनवाकर उसकी पूजा करें और उसे अपने पास रखें। वासुकि - वासुकि कालसर्प दोष होने पर रात्रि को सोते समय सिरहाने पर थोड़ा बाजरा रखें और सुबह उठकर उसे पक्षियों को खिला दें। - नागपंचमी के दिन लाल धागे में तीन, आठ या नौमुखी रुद्राक्ष धारण करें। शंखपाल - शंखपाल कालसर्प दोष के निवारण के लिए 400 ग्राम साबूत बादाम बहते पानी में प्रवाहित करें। - शिवलिंग का दूध से अभिषेक करें। पद्म - पद्म कालसर्प दोष होने पर 40 दिनों तक रोज सरस्वती चालीसा का पाठ करें। - जरुरतमंदों को पीले वस्त्र का दान करें और तुलसी का पौधा लगाएं। महापद्म - महापद्म कालसर्प दोष के निदान के लिए हनुमान मंदिर में जाकर सुंदरकांड का पाठ करें। - यथाशक्ति ब्राह्मण को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा दें। तक्षक - तक्षक कालसर्प योग के निवारण के लिए 11 नारियल बहते हुए जल में प्रवाहित करें। - सफेद वस्त्र और चावल का दान करें। कर्कोटक - कर्कोटक कालसर्प योग होने पर बटुकभैरव के मंदिर में जाकर उन्हें नैवेद्य चढ़ाएं और पूजा करें। - शीशे के आठ टुकड़े पानी में प्रवाहित करें। शंखचूड़ - शंखचूड़ नामक कालसर्प दोष की शांति के लिए रात्रि को सोते समय सिरहाने जौ रखें और उसे अगले दिन पक्षियों को खिला दें। - नागपंचमी के दिन पांचमुखी, आठमुखी या नौमुखी रुद्राक्ष धारण करें। घातक - घातक कालसर्प दोष के निवारण के लिए पीतल के बर्तन में गंगाजल भरकर अपने पूजा स्थल पर रखें। - चारमुखी, आठमुखी और नौमुखी रुद्राक्ष हरे रंग के धागे में धारण करें। विषधर - विषधर कालसर्प दोष के निदान के लिए परिवार के सदस्यों की संख्या के अनुसार नारियल लेकर एक-एक नारियल पर उनका हाथ लगवाकर बहते हुए जल में प्रवाहित करें। - भगवान शिव के मंदिर में जाकर यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें। शेषनाग - शेषनाग कालसर्प दोष होने पर रात्रि को लाल कपड़े में सौंफ बांधकर सिरहाने रखें और उसे अगले दिन सुबह खा लें। - दिन दूध-जलेबी का दान करें।

Spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Post your photo on Followers for Guru mantar Deksha / Sadhna procedure and pran pratishtia yantar or mala . chaudhary21@airtelmail.in

कुबेर देव की फोटो कहां लगानी चाहिए




जीवन में धन, सुख और समृद्धि बढ़ाने के लिए धर्म शास्त्रों में कई उपाय बताए गए हैं। जिन्हें अपनाने से निश्चित ही शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं। इन्हीं उपायों में से एक उपाय यह है कि घर में कुबेर देव की मूर्ति या फोटो अवश्य रखना चाहिए। कुबेर देव सुख-समृद्धि और धन देने वाले देवता हैं।

शास्त्रों के अनुसार धन प्राप्ति के लिए देवी महालक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए लेकिन इसके साथ धन के देवता कुबेर को पूजन से भी पैसा से जुड़ी तमाम समस्याएं दूर रहती हैं। कुबेर देव को देवताओं का कोषाध्यक्ष माना गया है। इसी वजह से कुबेर देव की मूर्ति या फोटो घर में लगाने से इनकी कृपा सदैव परिवार के सदस्यों पर बनी रहती है और धन से जुड़े कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

कुबेर देव की बड़ी महिमा बताई गई है इसी वजह से इनकी फोटो या मूर्ति घर में कहां रखें? इस संबंध में विशेष सावधानी रखने की आवश्यकता है। कुबेर देव का निवास उत्तर दिशा की ओर माना गया है। अत: इनका फोटो घर में उत्तर दिशा की ओर ही लगाना श्रेष्ठ रहता है। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि जहां इनका चित्र लगाया जाए वह स्थान पवित्र हो। वहां किसी प्रकार का पुराना सामान या कबाड़ न हो। उस जगह की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।



Spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Post your photo on Followers for Guru mantar Deksha / Sadhna procedure and pran pratishtia yantar or mala . chaudhary21@airtelmail.in

Thursday, July 26, 2012

साफ-सफाई का संबंध धर्म और देवी-देवताओं से भी है

Spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Post your photo on Followers for Guru mantar Deksha / Sadhna procedure and pran pratishtia yantar or mala . chaudhary21@airtelmail.in

वैसे तो सभी जानते हैं कि घर की साफ-सफाई करने से स्वास्थ्य संबंधी लाभ प्राप्त होते हैं लेकिन साफ-सफाई का संबंध धर्म और देवी-देवताओं से भी है। जिस घर में स्वच्छता रहती है वहीं देवी-देवताओं का वास होता है। आमतौर पर घर के निचले हिस्सों की तो सफाई हो जाती है लेकिन छत या ऊपरी हिस्सों की ठीक से सफाई नहीं हो पाती। ऐसे में वहां मकड़ी द्वारा जाले बना लिए जाते हैं। घर में ये जाले होना अशुभ माना जाता है। अक्सर वृद्धजन और विद्वान लोग कहते हैं कि घर में मकड़ी के जाले नहीं होना चाहिए। ये अशुभ होते हैं। ये अंधविश्वास नहीं है बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक और धार्मिक कारण मौजूद हैं। मकड़ी के जालों की संरचना कुछ ऐसी होती है कि उसमें नकारात्मक ऊर्जा एकत्रित हो जाती है। इसलिए घर के जिस भी कोने में मकड़ी के जाले होते हैं, वह कोना या हिस्सा नकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। इस कारण घर में कलह, बीमारियां व अन्य कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं। साथ ही मकड़ी के एक जाले में असंख्य सूक्ष्मजीव रहते हैं जो कि हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पंहुचाते हैं। इसलिए कहा जाता हैं कि अगर घर में मकड़ी के जाले होते हैं तो घर की सुख-समृद्धि का नाश होने लगता है क्योंकि नकारात्मक ऊर्जा के कारण घर का माहौल इतना अशांत हो जाता है कि व्यक्ति चाहकर भी अपने काम को मन लगाकर नहीं कर पाता है। इसलिए मकड़ी के जालों को अशुभ माना जाता है।

Tuesday, July 24, 2012

हनुमानजी को सिंदूर क्यों लगाते हैं

Spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Post your photo on Followers for Guru mantar Deksha / Sadhna procedure and pran pratishtia yantar or mala . chaudhary21@airtelmail.in

 वैसे तो सिंदूर सुहाग का प्रतीक है और इसे सभी सुहागन स्त्रियों द्वारा मांग में लगाने की परंपरा है। सिंदूर का पूजन-पाठ में भी गहरा महत्व है। बहुत से देवी-देवताओं को सिंदूर अर्पित किया जाता है। श्री गणेश, माताजी, भैरव महाराज के अतिरिक्त मुख्य रूप से हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाया जाता है। हनुमानजी का पूरा श्रंगार ही सिंदूर से किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार हर युग में बजरंग बली की आराधना सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाली मानी गई है। हनुमानजी श्रीराम के अनन्य भक्त हैं और जो भी इन पर आस्था रखता है उनके सभी कष्टों को ये दूर करते हैं। हनुमानजी को सिंदूर क्यों लगाया जाता है? इस संबंध में शास्त्रों में एक प्रसंग बताया गया है। रामचरित मानस के अनुसार हनुमानजी ने माता सीता को मांग में सिंदूर लगाते हुए देखा। तब उनके मन में जिज्ञासा जागी कि माता मांग में सिंदूर क्यों लगाती है? यह प्रश्न उन्होंने माता सीता से पूछा। इसके जवाब में सीता ने कहा कि वे अपने स्वामी, पति श्रीराम की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए मांग में सिंदूर लगाती हैं। शास्त्रों के अनुसार सुहागन स्त्री मांग में सिंदूर लगाती है तो उसके पति की आयु में वृद्धि होती है और वह हमेशा स्वस्थ रहते हैं। माता सीता का उत्तर सुनकर हनुमानजी ने सोचा कि जब थोड़े सा सिंदूर लगाने का इतना लाभ है तो वे पूरे शरीर पर सिंदूर लगाएंगे तो उनके स्वामी श्रीराम हमेशा के लिए अमर हो जाएंगे। यही सोचकर उन्होंने पूरे शरीर पर सिंदूर लगाना प्रारंभ कर दिया। तभी से बजरंग बली को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। वैसे तो सभी के जीवन में समस्याएं सदैव बनी रहती हैं लेकिन यदि किसी व्यक्ति के जीवन में अत्यधिक परेशानियां उत्पन्न हो गई है और उसे कोई रास्ता नहीं मिल रहा हो तब हनुमानजी की सच्ची भक्ति से उसके सारे बिगड़े कार्य बन जाएंगे। दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाएगा। प्रतिदिन हनुमान के चरणों का सिंदूर अपने सिर या मस्तक पर लगाने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और विचार सकारात्मक बनते हैं। जीवन की परेशानियां दूर हो जाती हैं।

पुत्र ही क्यों देता है मुखाग्नि?

Spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Post your photo on Followers for Guru mantar Deksha / Sadhna procedure and pran pratishtia yantar or mala . chaudhary21@airtelmail.in

गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने यही संदेश दिया है कि मृत्यु एक अटल सत्य है। जिसने जन्म लिया है उसे मृत्यु अवश्य प्राप्त होगी। आत्मा अमर है और वह निश्चित समय के अलग-अलग शरीर धारण करती है। जब जिस शरीर का समय पूर्ण हो जाता है आत्मा उसका त्याग कर देती है। इसे ही मृत्यु कहा जाता है। हिंदू धर्म में मृत्यु के संबंध में एक महत्वपूर्ण नियम या परंपरा यह है कि मृत शरीर को मुखाग्नि पुत्र ही देता है। यदि मृत व्यक्ति का पुत्र है तो मुखाग्नि उसे ही देना है, ऐसा विधान है। मृतक चाहे स्त्री हो या पुरुष अंतिम क्रिया पुत्र की संपन्न करता है। इस संबंध में हमारे शास्त्रों में उल्लेख है कि पुत्र पुत नामक नर्क से बचाता है अर्थात् पुत्र के हाथों से मुखाग्नि मिलने के बाद मृतक को स्वर्ग प्राप्त होता है। इसी मान्यता के आधार पर पुत्र होना कई जन्मों के पुण्यों का फल बताया जाता है। पुत्र माता-पिता का अंश होता है। इसी वजह से पुत्र का यह कर्तव्य है कि वह अपने माता-पिता की मृत्यु उपरांत उन्हें मुखाग्नि दे। इसे पुत्र के लिए ऋण भी कहा गया है।

Monday, July 23, 2012

गरीबी कैसी चीजें रखने से बढ़ती है

Spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Post your photo on Followers for Guru mantar Deksha / Sadhna procedure and pran pratishtia yantar or mala . chaudhary21@airtelmail.in

अक्सर बढ़े-बुजुर्ग और विद्वान लोग कहते हैं कि घर में पुराना सामान, कबाड़ नहीं रखना चाहिए। हमारा घर एकदम साफ और व्यस्थित होना चाहिए। इस बात के पीछे कई ऐसे कारण हैं जिनसे हमारे जीवन का सुख जुड़ा है। इन बातों का ध्यान रखने पर व्यक्ति को धन संबंधी परेशानियों से भी निजात मिलती है।


घर में कबाड़ रखने से गंदगी बनी रहती है, क्योंकि जहां पुराना सामान रखा रहता है वहां ठीक से साफ-सफाई नहीं हो पाती। ऐसे स्थान पर मकड़ी जाले बना लेती है, धूल-मिट्टी फैल जाती है। इस वजह से वहां दरिद्रता का निवास हो जाता है और लक्ष्मी ऐसे स्थान को छोड़कर चली जाती है।


महालक्ष्मी ऐसे स्थान पर ही निवास करती हैं जहां साफ-सफाई और स्वच्छता का ध्यान रखा जाता है। जिन घरों में सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता है वहां दरिद्रता का निवास हो जाता है। जिससे परिवार को कई प्रकार की आर्थिक हानि उठानी पड़ सकती है। घर की आय नहीं बढ़ती और सदस्यों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।


वास्तु शास्त्र के अनुसार भी घर में पुराना सामान रखना अशुभ माना गया है। इससे परिवार के सभी सदस्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उनके विचार भी निगेटिव बनते जाते हैं। वास्तु के अनुसार भी घर को पूरी तरह साफ रखना चाहिए। इससे घर की आय में बढ़ोतरी होती है और सदस्यों का मन प्रसन्न रहता है।


कबाड़ रखने से फैली गंदगी हमारे स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। इससे हमें कई बीमारियां हो सकती हैं। इन सभी कारणों से घर के बड़े-बुजुर्ग भी घर को साफ रखने की बात कहते हैं।

Wednesday, July 18, 2012

शमशान से आकर तुरंत नहाना भी चाहिए

Spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Send us your photo for Guru mantar Deksha /Sadhna procedure and pran pratishtia yantar or mala . chaudhary21@airtelmail.in

किसी भी शवयात्रा में जाना और मृत शरीर को कंधा देना बड़ा ही पुण्य कार्य माना गया है। धर्म शास्त्रों के अनुसार शवयात्रा में शामिल होने और अंतिम संस्कार के मौके पर उपस्थित रहने से इंसान को कुछ देर के लिए ही सही लेकिन जिंदगी की सच्चाई का आभास होता है और मन में वैराग्य होता है। शमशान जाने के आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। शमशान से आकर तुरंत नहाना भी चाहिए। इस संबंध में कई कारण बताए गए हैं।


दरअसल इसका कारण यह है कि शव के अंतिम संस्कार के समय वातावरण में कई प्रकार के सूक्ष्म एवं संक्रामक कीटाणु फैले रहते हैं। अत: इन कीटाणुओं से वहां उपस्थित इंसानों पर किसी संक्रामक रोग का असर होने की संभावना बनी रहती है। इस प्रकार की संभावनाओं से निटपटने के लिए नहाना श्रेष्ठ उपाय है।


इसके साथ ही एक अन्य कारण भी तंत्र-शास्त्रों में बताया जाता है। शमशान भूमि पर लगातार ऐसे ही कार्य होते रहते हैं, जिससे वहां एक प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है जो कमजोर मनोबल के इंसान को नुकसान पहुंचा सकता है। दाह संस्कार के पश्चात भी मृतआत्मा का सूक्ष्म शरीर कुछ समय तक वहां उपस्थित होता है जो अपनी प्रकृति के अनुसार कोई हानिकारक प्रभाव भी डाल सकता है। इन प्रभावों से बचने के लिए भी वहां से आने के बाद तुरंत नहा लेना चाहिए।

Monday, July 16, 2012

लड़की यदि सुंदर हो तब भी उससे नहीं करना चाहिए शादी

Spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Send us your photo for Guru mantar Deksha /Sadhna procedure and pran pratishtia yantar or mala . chaudhary21@airtelmail.in

विवाह या शादी को जीवन का महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है। सामान्यत: हर इंसान का विवाह अवश्य होता है। विवाह के बाद वर-वधु के साथ दोनों के परिवारों का जीवन बदलता है। इसी वजह से शादी किससे की जाए, इस संबंध में सावधानी अवश्य रखी जाती है।

कैसी लड़की से विवाह करना चाहिए और कैसी लड़की से नहीं, इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि-

वरयेत् कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम्।

रूपशीलां न नीचस्य विवाह: सदृशे कुले।।


जबकि कोई सुंदर लेकिन बुरे स्वभाव वाली कन्या विवाह के बाद परिवार को तोड़ देती है। ऐसे लड़कियों का स्वभाव व आचरण निम्न ही रहता है। जबकि धार्मिक और ईश्वर में आस्था रखने वाली संस्कारी कन्या के आचार-विचार भी शुद्ध होंगे जो एक श्रेष्ठ परिवार का निर्माण करने में सक्षम रहती है।


आचार्य चाणक्य के अनुसार समझदार और श्रेष्ठ मनुष्य वही है जो उच्चकुल या अच्छे परिवार में जन्म लेने वाली सुसंस्कारी कुरूप कन्या से विवाह कर लेता है। विवाह के बाद कन्या के गुण ही परिवार को आगे बढ़ाते हैं।


आचार्य चाणक्य कहते हैं समझदार मनुष्य वही है जो विवाह के लिए नारी की बाहरी सुंदरता न देखते हुए मन की सुंदरता देखें। यदि अच्छे परिवार की कोई कुरूप कन्या सुंस्कारी हो, अच्छे गुणों वाली हो तो उससे विवाह कर लेना चाहिए। जबकि कोई बहुत सुंदर कन्या यदि संस्कारी न हो, अधार्मिक हो, जिसका चरित्र ठीक न हो तो उससे किसी भी परिस्थिति में विवाह नहीं करना चाहिए। विवाह हमेशा समान कुल और परिवार में ही शुभ रहता है।

पत्नी का साथ व्यक्ति को बड़ी से बड़ी मुश्किल से भी निकाल सकता है।

Spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Send us your photo for Guru mantar Deksha /Sadhna procedure and pran pratishtia yantar or mala . chaudhary21@airtelmail.in

किसी भी इंसान को परखना या समझना बहुत मुश्किल होता है। कोई आसानी से नहीं बता सकता कि किसी व्यक्ति के मन में क्या चल रहा है? आचार्य चाणक्य द्वारा हमसे जुड़े हर इंसान को परखने के लिए अलग-अलग समय बताया गया है। 


आचार्य के अनुसार रिश्तेदारों या मित्रों को समझने का समय अलग होता है और पत्नी को परखने का समय अलग। जब किसी व्यक्ति के जीवन में घोर विपत्ति आती है तो ऐसे ही समय में पत्नी की परीक्षा हो जाती है।


यदि कोई पत्नी अपने पति का साथ बुरी से बुरी परिस्थितियों में भी नहीं छोड़ती वह नि:संदेह श्रेष्ठ और पतिव्रता स्त्री है।


सुख के समय में तो सभी साथ देते हैं। यदि आपके पास पैसा है, समाज में मान-सम्मान है तो हर छोटी-बड़ी परेशानियों में आपके साथ काफी लोग खड़े रहेंगे। इसके विपरित यदि परिस्थितियां बदल जाए, आपका धन नष्ट हो जाए, समाज में मान-सम्मान न हो तब रिश्तेदारों से, मित्रों से अपेक्षा होती है कि वे आपकी मदद करेंगे।


कभी-कभी रिश्तेदार और मित्र भी आपके बुरे समय में साथ छोड़ देते हैं, ठीक उसी समय पत्नी का साथ व्यक्ति को बड़ी से बड़ी मुश्किल से भी निकाल सकता है। विपरित परिस्थितियों में जिस व्यक्ति की पत्नी भी साथ छोड़ दे तो उसका जीवन निश्चित ही नरक के समान हो जाएगा।

हमें किस-किस पर भरोसा नहीं करना चाहिए ताकि जीवन सुखमय बना रहे।

Spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Send us your photo for Guru mantar Deksha /Sadhna procedure and pran pratishtia yantar or mala . chaudhary21@airtelmail.in

सामान्यत: विश्वास या भरोसे पर ही हमारा जीवन चलता है। हमारे आसपास कई लोग होते हैं, जिन पर हम विश्वास करते हैं। इंसानों के साथ ही कई अन्य जीव भी हैं जिन पर हम विश्वास रखते हैं। आचार्य चाणक्य ने बताया है कि हमें किस-किस पर भरोसा नहीं करना चाहिए ताकि जीवन सुखमय बना रहे। 


आचार्य चाणक्य कहते हैं- नदीनां शस्त्रपाणीनां नखीनां श्रृंगीणां तथा। विश्वासो नैव कर्तव्य: स्त्रीषु राजकुलेषु च।। इस संस्कृत श्लोक का अर्थ यही है कि हमें नदियों पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए। शस्त्रधारियों पर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है। जिन जानवरों के नाखुन और सींग नुकिले होते हैं उन पर विश्वास करने वाले को जान का जोखिम बन सकता है। चंचल स्वभाव की स्त्रियों पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए। इनके साथ ही किसी राज्यकुल के व्यक्ति, शासन से संबंधित लोगों का भी भरोसा नहीं करना चाहिए।


चाणक्य कहते हैं कि जिन नदियों के पुल कच्चे हैं, जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं उस नदी पर भरोसा नहीं करना चाहिए क्योंकि कोई नहीं जान सकता कि कब नदी के पानी का बहाव तेज हो जाए, उसकी दिशा बदल जाए।


जिन जीवों के नाखुन और सिंग होते हैं उन पर भरोसा करना जानलेवा हो सकता है। क्योंकि ऐसे जीवों का कोई भरोसा नहीं होता कि वे कब बिगड़ जाए और नाखुन या सींगों से प्रहार कर दे।


हमारे आसपास यदि कोई ऐसा व्यक्ति को जो अपने साथ हथियार रखता हो उस पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए क्योंकि जब भी वह गुस्से या आवेश में होगा तब उस हथियार का उपयोग कर सकता है।


जिन स्त्रियों का स्वभाव चंचल होता है उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। जिन लोगों का संबंध शासन से है उन पर विश्वास करना भी नुकसानदायक हो सकता है क्योंकि वे अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए कभी भी आपको धोखा दे सकते हैं।













किसी बड़े के पैर क्यों छुना चाहिए?

Spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Send us your photo for Guru mantar Deksha /Sadhna procedure and pran pratishtia yantar or mala . chaudhary21@airtelmail.in

हिंदू परंपराओं में से एक परंपरा है सभी उम्र में बड़े लोगों के पैर छुए जाते हैं। इसे बड़े लोगों का सम्मान करना समझा जाता है। जिन लोगों के पैर छुए जाते हैं उनके लिए शास्त्रों में कई नियम भी बनाए हैं। यदि कोई आपके पैर छुता है तो आपको क्या करना चाहिए,


उम्र में बड़े लोगों के पैर छुने की परंपरा काफी प्राचीन काल से ही चली आ रही है। इससे आदर-सम्मान और प्रेम के भाव उत्पन्न होते हैं। साथ ही रिश्तों में प्रेम और विश्वास भी बढ़ता है। पैर छुने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण दोनों ही मौजूद हैं। जब भी कोई आपके पैर छुए तो सामान्यत: आशीर्वाद और शुभकामनाएं तो देना ही चाहिए, साथ भगवान का नाम भी लेना चाहिए।


जब भी कोई आपके पैर छुता है तो इससे आपको दोष भी लगता है। इस दोष से मुक्ति के लिए भगवान का नाम लेना चाहिए। भगवान का नाम लेने से पैर छुने वाले व्यक्ति को भी सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं और आपके पुण्यों में बढ़ोतरी होती है। आशीर्वाद देने से पैर छुने वाले व्यक्ति की समस्याएं समाप्त होती है, उम्र बढ़ती है।


किसी बड़े के पैर क्यों छुना चाहिए? पैर छुना या प्रणाम करना, केवल एक परंपरा या बंधन नहीं है। यह एक विज्ञान है जो हमारे शारीरिक, मानसिक और वैचारिक विकास से जुड़ा है। पैर छुने से केवल बड़ों का आशीर्वाद ही नहीं मिलता बल्कि अनजाने ही कई बातें हमारे अंदर उतर जाती है। पैर छुने का सबसे बड़ा फायदा शारीरिक कसरत होती है, तीन तरह से पैर छुए जाते हैं।


पहले झुककर पैर छुना, दूसरा घुटने के बल बैठकर तथा तीसरा साष्टांग प्रणाम। झुककर पैर छुने से कमर और रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता है।


दूसरी विधि में हमारे सारे जोड़ों को मोड़ा जाता है, जिससे उनमें होने वाले स्ट्रेस से राहत मिलती है, तीसरी विधि में सारे जोड़ थोड़ी देर के लिए तन जाते हैं, इससे भी स्ट्रेस दूर होता है।


इसके अलावा झुकने से सिर में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जो स्वास्थ्य और आंखों के लिए लाभप्रद होता है। प्रणाम करने का तीसरा सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे हमारा अहंकार कम होता है। किसी के पैर छुना यानी उसके प्रति समर्पण भाव जगाना, जब मन में समर्पण का भाव आता है तो अहंकार स्वत: ही खत्म होता है। इसलिए बड़ों को प्रणाम करने की परंपरा को नियम और संस्कार का रूप दे दिया गया।

सैकडो मित्र बनाने चाहिये

Spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Send us your photo for Guru mantar Deksha /Sadhna procedure and pran pratishtia yantar or mala . chaudhary21@airtelmail.in




जो कोई भी हों , सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे की सहायता से कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे । 


VISION SOLUTIONS
9463694008

Thursday, July 12, 2012

महालक्ष्मी के ये रूप करते हैं आपको मालामाल

Any person can get spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Send us Emale For Guru Mantar Deksha /Sadhna procedure . chaudhary21@airtelmail.in

देवी महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए व्यक्ति कई तरह के प्रयास करता है।सभी को अपार धन का मोह होता है और इसी मोहवश धन की देवी महालक्ष्मी की पूजा की जाती है।  शास्त्रों के अनुसार महालक्ष्मी के आठ रूप बताए गए हैं। सभी रूपों का अलग-अलग महत्व है। जिस व्यक्ति की जो इच्छा होती है उसी के अनुरूप महालक्ष्मी की पूजा करने पर मनोकामनाएं जल्दी पूर्ण हो जाती हैं।


धन लक्ष्मी: लक्ष्मी के इस रूप की साधना करने से लगातार धन की प्राप्ति होती है।


गृह लक्ष्मी: लक्ष्मी के इस रूप की पूजा करने से व्यक्ति को सर्वगुण संपन्न पत्नी की प्राप्ति होती है। गृह लक्ष्मी की आराधना से सुंदर, सु-विचारों वाली पत्नी की प्राप्ति होती है।






यश लक्ष्मी: लक्ष्मी के इस रूप की पूजा करने से समाज में मान-सम्मान, यश, प्रसिद्धि, प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।


स्थिर लक्ष्मी: लक्ष्मी के इस स्वरूप को पूजने से व्यक्ति के घर में अपार धन- संपदा सदैव बनी रहती है।






भवन लक्ष्मी: यदि आपको अपना खुद का घर बनवाना है तो आप भवन लक्ष्मी की पूजा करें, बहुत जल्द आपका खुद का घर बन जाएगा।






आयु लक्ष्मी: लक्ष्मी के इस स्वरूप की साधना से दीर्घायु एवं स्वस्थ्य जीवन प्राप्त होता है। उपासक निरोगी रहता है और सुंदर शरीर वाला बना रहता है।






संतान लक्ष्मी: देवी के इस रूप को पूजने से भक्त को सद् बुद्धि वाली संतान की प्राप्ति होती है। ऐसी संतान माता-पिता का नाम रोशन करने वाली होती है।






वाहन लक्ष्मी: लक्ष्मी के इस रूप की उपासना करने से व्यक्ति को वाहनों का सुख प्राप्त होता है। व्यक्ति को सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है

















Tuesday, July 10, 2012

काम बीच में अधूरा छोडऩा भयंकर हो सकता है।

Any person can get spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Send us Emale For Guru Mantar Deksha /Sadhna procedure . chaudhary21@airtelmail.in

सुखी और समृद्धिशाली जीवन के लिए शास्त्रों में कई महत्वपूर्ण सूत्र बताए गए हैं। इन सूत्रों का पालन करने पर हमारा जीवन खुशियोंभरा हो जाता है और परेशानियां सताती नहीं हैं। कुछ बातें सामान्य ज्ञान की हैं जिन्हें हमेशा ध्यान रखना हमारे लिए फायदेमंद रहता है।

गरुड़ पुराण एक ऐसा पुराण है जिसमें जीवन और मृत्यु के रहस्यों का उल्लेख किया गया है। हमारे किन कर्मों का क्या फल हमें प्राप्त होता है यह गरुड़ पुराण में बताया गया है। इसी पुराण में चार बातें या काम ऐसे बताए गए हैं जिन्हें अधूरा छोडऩा भयंकर हो सकता है। इनमें से कुछ बातें ऐसी हैं जिन्हें शेष छोड़ दिया जाए तो मृत्यु का संकट तक खड़ा हो सकता है।


यदि कोई व्यक्ति बीमार है तो उसे दवाइयों की मदद से रोग को जड़ से मिटा देना चाहिए। जो लोग पूरी तरह स्वस्थ न होते हुए भी दवाइयां लेना बंद कर देते हैं तो उन्हें भविष्य में पुन: बीमारी हो सकती है। सामान्यत: बीमारी का पुन: लौटना जान को खतरा ही होता है। अत: बीमारी की अवस्था में दवाइयां लेते रहना चाहिए, बीमारी के कीटाणुओं को जीवित नहीं रहने देना चाहिए।


यदि कहीं आग लग रही है तो आग को भी पूरी तरह बुझा देना चाहिए। अन्यथा छोटी सी चिंगारी भी पुन: बड़ी आग में बदल सकती है और जान और माल को नुकसान पहुंचा सकती है।


यदि आपका कोई शत्रु है और वह बार-बार प्रयास करने के बाद भी शत्रुता समाप्त नहीं कर रहा है तो उसे किसी भी तरह शांत कर देना चाहिए। क्योंकि शत्रु हमेशा ही हमारा अहित करने की योजनाएं बनाते रहेंगे और शत्रु बढ़ते रहेंगे। शत्रुता का नाश करने पर ही जीवन से भय का नाश हो सकता है।


गरुड़पुराण के अनुसार ऋण या उधार लिया पैसा किसी भी स्थिति में पूरा लौटा देना चाहिए। यदि ऋण पूरा नहीं उतारा जाता है तो वह पुन: ब्याज के कारण बढऩे लगता है। अत: ऐसी स्थिति से बचने के लिए ऋण का शत-प्रतिशत निपटारा जल्दी से जल्दी कर देना चाहिए।

शिव यंत्र से जानिए समस्या का समाधान

Any person can get spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Send us Emale For Guru Mantar Deksha /Sadhna procedure . chaudhary21@airtelmail.in

आज  से सावन का महीना शुरु हो रहा है। यह समय ईश्वर भक्ति कर अपनी समस्याओं से मुक्ति पाने का है। हर इंसान के जीवन में कुछ न कुछ समस्याएं रहती हैं। इन समस्याओं से संबंधित प्रश्न भी उसके दिमाग में घूमते रहते हैं। यदि आप भी किसी समस्या को लेकर परेशान हैं तो सिर्फ एक क्लिक कर आप अपने प्रश्नों का उत्तर आसानी से जान सकते हैं। 

शिव यंत्र से जानें अपने प्रश्नों के उत्तर

यहां दिए शिव यंत्र के फोटो को ध्यान से देखिए, फोटो में 1 से 7 तक अंक दिए गए हैं। अब आंख बंद करके पूरी आस्था और भक्ति के साथ शिवजी का ध्यान करें और मन ही मन ऊँ नम: शिवाय: मंत्र का जप करें। ध्यान करते समय माउस के कर्सर को शिव यंत्र पर घुमाएं। कुछ देर बाद कर्सर रोक लें। अब देखिए कर्सर किस अंक पर है? उस अंक से संबंधित फलादेश अगले फोटोस में दिए गए हैं। यही आपके प्रश्नों के उत्तर हैं।


1- हर मंगलवार को हनुमान चालीसा का जप करें। कार्यों में आलस्य न दिखाएं। अपना कार्य ईमानदारी से करते रहें। सिर्फ छह माह में आपको सफलता मिलेगी, अच्छा समय शुरू हो जाएगा।


2- अपने कार्यों के संबंध में किसी विश्वसनीय विशेषज्ञ से सलाह लें। मनमानी न करें। आपकी जिद हानि पहुंचा सकती है।


3- अभी परिस्थितियां आपके पक्ष में नहीं बन रही हैं। कुछ समय प्रतीक्षा करें। ऊँ नम: शिवाय: मंत्र का जप करें। शिवजी को धतूरा चढ़ाएं। कुछ समय बाद आपकी किस्मत चमक जाएगी।


4- घर-परिवार में बड़े लोगों तथा बाहर के बुजुर्गों का आदर करें, उन्हें मान-सम्मान दें। जरूरतमंद लोगों को दान दें। लाभ का समय प्रारंभ होने लगेगा।


5- जिन लोगों की शादी हो चुकी हैं उनकी पत्नी की सहायता से बुरा समय समाप्त होगा। अविवाहित लोग प्रति मंगलवार और शनिवार हनुमानजी के दर्शन करें। लाभ होगा।


6- अभी आपके लिए संघर्ष के दिन हैं। दु:खों के निराकरण के लिए करीब दो साल तक आपको इंतजार करना पड़ सकता है। धार्मिक कार्य करते रहें।


7- बस अब आपका भाग्य आपका साथ देगा और आपका बहुत अच्छा समय आने वाला है। शिवजी का ध्यान करते रहें।