Thursday, October 25, 2012

श्राद्ध में कौओं को क्यों कराते हैं भोजन

  श्राद्ध पक्ष पितरों को प्रसन्न करने का एक उत्सव है। यह वह अवसर होता है जब हम खीर-पुड़ी आदि पकवान बनाकर उसका भोग अपने पितरों को अर्पित करते हैं जिससे तृप्त होकर पितृ हमें आशीर्वाद देते हैं। श्राद्ध पक्ष से जुड़ी कई परंपराएं भी हमारे समाज में प्रचलित है। ऐसी ही परंपरा है जिसमें कौओं को आमंत्रित कर उन्हें श्राद्ध का भोजन खिलाया जाता है। इसका एक कारण यह है कि हिन्दू पुराणों में कौए को देवपुत्र माना है। यह मान्यता है कि इन्द्र के पुत्र जयंत ने ही सबसे पहले कौए का रूप धारण किया था। यह कथा त्रेता युग की है जब भगवान श्रीराम ने अवतार लिया और जयंत ने कौऐ का रूप धर कर माता सीता को घायल कर दिया था। तब भगवान श्रीराम ने तिनके से ब्रह्मास्त्र चलाकर जयंत की आंख फोड़ दी थी। जब उसने अपने किए की माफी मांगी तब राम ने उसे यह वरदान दिया की कि तुम्हें अर्पित किया गया भोजन पितरों को मिलेगा। तभी से श्राद्ध में कौओं को भोजन कराने की परंपरा चली आ रही है। यही कारण है कि श्राद्ध पक्ष में कौओं को ही पहले भोजन कराया जाता है।

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शहद भी चमत्कारी होता है

मधुमक्खियों द्वारा बनाया जाने वाला शहद भी चमत्कारी होता है। इसे केवल घर में रखने से ही कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। यहां दिए गए फोटो में जानिए शहद से आपको क्या-क्या फायदें मिलते हैं- शहद हमारे शरीर को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाता है। इसमें कई रोगों को मिटाने की शक्ति होती है। इसी वजह से इसे औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। शहद का महत्व केवल औषधि तक ही सीमित नहीं है बल्कि शास्त्रों के अनुसार पूजन कर्म में भी शहद बहुत जरूरी माना गया है। वेद-पुराण के अनुसार शहद पवित्र पदार्थ है इसी वजह से इसे सभी देवी-देवताओं की पूजन सामग्री में विशेष स्थान प्राप्त है। शिवजी को शहद से स्नान कराया जाता है, जिससे भक्त की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और कई रोगों से मुक्ति मिलती है। ज्योतिष के अनुसार भी घर में शहद रखने से शनि संबंधी कई दोषों का निवारण होता है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या में यह काफी मददगार रहता है। घर में शहद रखना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसी वजह से अधिकांश घरों में इसे अनिवार्य रूप से रखा जाता है। वास्तु के अनुसार वातावरण में फैली नकारात्मक ऊर्जा को शहद की पॉजीटिव एनर्जी नष्ट कर देती है जिससे परिवार के सभी सदस्यों को लाभ होता है। इन फायदों को देखते हुए शहद को अपने घर में अवश्य ही रखें। इसे किसी सुरक्षित स्थान पर रखा जाना चाहिए। इसके साथ ही घर में पूरी तरह से साफ-सफाई रखें जिससे आपके घर में बरकत बनी रहेगी और फिजूल खर्चों में कमी आएगी। आयुर्वेद में भी शहद कई बीमारियों के लिए सबसे अच्छा उपाय है। कई दवाएं ऐसी हैं जिन्हें शहद के साथ लेने पर वह जल्दी असर करती हैं और रोग शीघ्र दूर हो जाता है।

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किस प्रकार की मूर्तियां नहीं रखना चाहिए

 देवी-देवताओं की कृपा हमेशा हम पर बनी रहे इसके लिए घर-घर में भगवान की प्रतिमाएं रखने और छोटे-छोटे मंदिर बनाने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। घर में कैसी मूर्तियां रखनी चाहिए और किस प्रकार की मूर्तियां नहीं रखना चाहिए, इस संबंध में शास्त्रों में कई प्रकार के नियम बताए गए हैं। यहां दिए गए फोटो में देखिए... वैसे तो कण-कण में परमात्मा विद्यमान है। फिर भी भगवान की आराधना में हमारा ध्यान या मन पूरी तरह से लगा रहे इसके लिए मूर्तियों की पूजा की जाती है। मूर्तियों की पूजा के संबंध में एक बात ध्यान रखने योग्य है कि यदि कोई मूर्ति किसी प्रकार से खंडित हो जाए तो उसकी पूजा नहीं करना चाहिए। केवल शिवलिंग को खंडित नहीं माना जाता है क्योंकि भगवान शिव को निराकार माना गया है। अत: शिवलिंग हर स्थिति में पूजनीय और पवित्र रहता है। ईश्वर की भक्ति में भगवान की मूर्ति का अत्यधिक महत्व है। प्रभु की मूर्ति देखते ही भक्त के मन में श्रद्धा और भक्ति के भाव स्वत: ही उत्पन्न हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार भगवान की प्रतिमा पूर्ण होना चाहिए, यदि मूर्ति खंडित हो तो उसे पूजा योग्य नहीं माना जाता है। खंडित मूर्ति की पूजा को अपशकुन भी माना गया है। प्रतिमा की पूजा करते समय भक्त का पूरा ध्यान भगवान और उनके स्वरूप की ओर ही होता है। अत: ऐसे में यदि प्रतिमा खंडित होगी तो भक्त का सारा ध्यान उस मूर्ति के खंडित हिस्से पर चले जाएगा और वह पूजा में मन नहीं लगा सकेगा। जब पूजा में मन नहीं लगेगा तो व्यक्ति भगवान की ठीक से भक्ति नहीं कर सकेगा। पूजा अधूरी रह जाएगी। इसी बात को समझते हुए प्राचीन काल से ही खंडित मूर्ति की पूजा को अपशकुन बताते हुए उसकी पूजा निष्फल बताई गई है। खंडित मूर्ति के कारण वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रीय हो जाती है, इसी कारण ऐसी प्रतिमाओं को घर में भी नहीं रखना चाहिए। खंडित प्रतिमाओं को किसी पवित्र नदी या सरोवर में प्रवाहित कर देना चाहिए।

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दीपक लगाने से आप भी बन सकते हैं धन कुबेर

 शिव पुराण के अनुसार इस सृष्टि का निर्माण भगवान शिव की इच्छा मात्र से ही हुआ है। अत: इनकी भक्ति करने वाले व्यक्ति को संसार की सभी वस्तुएं आसानी से प्राप्त हो जाती हैं। शिवजी अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पलभर में ही पूरी कर देते हैं। नियमित रूप से शिवलिंग का पूजन करने वाले व्यक्ति को जीवन में दुख कम ही महसूस होते हैं। आगे के फोटो में जानिए... शिवजी के पूजन से श्रद्धालुओं की धन संबंधी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। शास्त्रों में एक सटीक उपाय बताया गया है जिसे नियमित रूप से अपनाने वाले व्यक्ति अपार धन-संपत्ति प्राप्त हो सकती है। इस उपाय के संबंध में शिवपुराण में एक कथा दी गई है। कथा के अनुसार अतिप्राचीन काल काल में गुणनिधि नामक व्यक्ति बहुत गरीब था और वह भोजन की खोज में लगा हुआ था। इस रात हो गई और वह एक शिव मंदिर में पहुंच गया। गुणनिधि ने सोचा कि उसे रात्रि विश्राम इसी मंदिर में कर लेना चाहिए। रात के समय अत्यधिक अंधेरा वहां हो गया। इस अंधकार को दूर करने के लिए उसने शिव मंदिर में अपनी कमीज जलायी थी। रात्रि के समय भगवान शिव के समक्ष प्रकाश करने के फलस्वरूप उस व्यक्ति को अगले जन्म में देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर देव का पद प्राप्त हुआ। इस कथा के अनुसार ही शाम के समय शिव मंदिर में दीपक लगाने वाले व्यक्ति को अपार धन-संपत्ति एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती हैं। अत: नियमित रूप से रात्रि के समय किसी भी शिवलिंग के समक्ष दीपक लगाना चाहिए।

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Sunday, October 7, 2012

जो सेवक आज्ञा मिलने पर


जो सेवक आज्ञा मिलने पर स्वामी की बात का आदर नहीं करता। किसी काम में लगाए जाने पर इनकार कर देता है। अपनी बुद्धि पर गर्व करता है। उसे छोड़ देना चाहिए।

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