Thursday, May 31, 2012

Tantrik Sadhana


Tantrik Sadhana

It is a method of worshipping any god or goddess in a systematic way. Mantra and Yantra are also used in this method.

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Tantrik Meditation


Tantrik Meditation

Unlike general misconception among the people about Tantrik Meditation, it is a systematic and effective way of doing meditation. Classes are being conducted at various places. Beginners can start from the first level.
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Tantrik Healing


Tantrik Healing

Tantrik Healing is a special method of treatment of any kind of disease or ailment that may be physical, mental or social. It is being offered at Central office Chandigarh from time to time.

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Counseling


Counseling

Any person can get spiritual counseling for leading a spiritual way of life.

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स्मशान साधना


साधक को चाहिए की वह इस साधना को स्मशान मे ही सम्प्पन करे. रात्री मे ११:३० के बाद इस साधना को शुरू करना चाहिए. साधना को सोमवार से शुरू करे. साधक को स्नान कर अघोर गुरु पूजन सम्प्पन कर विशेष शाबर मन्त्र का ५१ माला जाप करना चाहिए. मंत्र जाप के लिए साधक को रुद्राक्ष माला का प्रयोग करना चाहिए. आसान तथा वस्त्र काले हो. आसान के निचे चिता भष्म को बिछा देना चाहिए. इस क्रम को ११ दिन तक करने पर विविध अनुभूतिया होने लगती है, साधक जब इसे २१ दिन कर लेता है तब उसे भगवान अघोरेश्वर के दर्शन होते है.
 अघोर अघोर प्रत्यक्ष वाचा गुरु की अघोरनाथ दर्शय दर्शय आण सिद्धनाथ की
साधक को भयभीत ना हो कर वीर भाव से यह साधना करनी चाहिए.

मोहित करना


जीवन की नितांत गतिशीलता में नित नविन बाधाओ का आवागमन होता ही रहता है. वस्तुतः सभी व्यक्तियो की विचारधरा अपने आप में अलग होती है और इस लिए वैचारिक मदभेद एक सामन्य बात है. लेकिन कई बार एक सामन्य सा मतभेद व्यक्ति को बहोत ही अधिक रूप से पीड़ा पहोचा देता है. एसी स्थिति में अयोग्य घटनाक्रम का निर्माण होता है और व्यक्ति कई बार अपना और सामने वाले व्यक्तिका हितचिंतन ही छोड़ देता है. एसी विषम परिस्थिति में घर में क्लेश होता है, मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य व्यक्ति खो देता है. हमेशा एक प्रकार से ्यक्ति दुःखमय स्थिति में रहने लगता है. इस प्रकार एक खुशहाल जिंदगी एक बोजिल जीवन बन जाता है. और कई घटनाओं में व्यक्ति अपने जीवन से घृणित हो कर उसे नष्ट करने की चेष्टामें संलग्न हो जाता है. एक प्रकार से देखा जाए तो यह स्थिति अत्यंत ही नाज़ुक होती है, अगर समय रहते व्यक्ति इसको संभाल ले तो फिर एक सामान्य सा मतभेद जीवन की खुशहाली को नहीं छीन सकता. अगर सामने वाले व्यक्ति के विचारों को अनुकूल बना लिया जाए तो यह परिस्थिति से संभला जा सकता है. तंत्र क्षेत्र के विभ्भिन्न प्रक्रियाओ में मोहन क्रम का अपना एक अलग ही महत्त्व है. इस प्रक्रिया के अंतरगत साधक सामने वाले व्यक्ति पर प्रयोग कर के उसके मनोविचार को अपने अनुकूल बना देता है. इस प्रकार सामने वाला व्यक्ति भी अपने जीवन में प्रयोगकर्ता के अनुकूल हो कर रहना ही पसंद करता है. मोहन शक्ति के माध्यम से प्रयोगकर्ता व्यक्ति को जिस पर प्रयोग किया गया है उस व्यक्ति के विचार तथा जो भी मतभेद है उसको व्यक्ति के मस्तिष्क के निकाल देता है और उसके स्थान पर वही विचार रहेंगे तो की अनुकूलता को निमंत्रण दे. मोहन क्रम में जिस पर प्रयोग किया गया है वह व्यक्ति प्रयोगकर्ता के आधीन नहीं होता बल्कि उसके विचार को नियंत्रित कर लेता है इस प्रकार यह प्रयोग उत्तम है. और यह प्रयोग में किसी भी प्रकार का कोई नुकशान भी नहीं होता.यु यह प्रयोग किसी पर भी कर उसके विचारों को अपने अनुकूल किया जा सकता है. तंत्र क्षेत्र में कई प्रकार के मोहिनी प्रयोग है, जेसे की तेल मोहिनी, इत्र मोहिनी,वस्त्र मोहिनी. सब प्रयोग की अपनी अलग महत्ता होती है. प्रस्तुत प्रयोग का उद्देश्य साफ़ है की वैचारिक मतभेद को दूर कर अपने जीवन को सुखमय बनाना. लेकिन किसी व्यक्ति पर निति नियम विरुद्ध या फिर गलतमहेछा ले कर यह प्रयोग किया जाए तो इसमें सफलता मिलती नहीं है.
इस प्रयोग को करने के लिए साधक ताज़ी मिठाई लाए जो की दूध से बनी हो.साधक चाहे तो खुद भी मिठाई को बना सकता है. इसमें किसी भी प्रकार की मिठाई का उपयोग किया जा सकता है जिसमे दूध डाला गया हो. साधक सोमवार, गुरुवार या रविवार को या फिर ग्रहण काल में किसी भी दिन यह प्रयोग कर सकता है.समय रात्री काल में ११ बजे के बाद का रहे. साधक स्नान आदि से निवृत हो कर लाल वस्त्र को धारण करे. तथा पूर्व दिशा की तरफ मुख कर लाल आसान पर बैठ जाए. साधक को मूंगा माला से ५० माला निम्न लिखित मंत्र की करनी है. हर माला माप्त होने पर साधक मिठाई पर फूंक मारे. साधक हर २१ माला के बाद-१० मिनिट का विश्राम ले सकता है. साधना स्थल पर और कोई ना हो इस बात को भी सुनिश्चित करना ज़रुरी है.
ऐं ह्रीं क्लीं अमुकं मोहय मोहय वश्य वश्य क्लीं ह्रीं ऐं नमः
OM AING HREENG KLEENG AMUKAM MOHAY MOHAY VASHY VASHY KLEENG HREENG AING NAMAH

इस मंत्र में अमुकं की जगह व्यक्ति का नाम ले. इस प्रकार मंत्र जाप हो जाने के बाद साधक को चाहिए की वह मिठाई सुरक्षित रख दे तथा उसे दूसरा कोई व्यक्ति ना खाए. दूसरे दिन ही उस मिठाई को साध्य व्यक्ती को खिलाए जिसे मोहित करना  .मिठाई देते वक्त या जब वह व्यक्ति मिठाई खा रहा हो तब मन ही मन इस मंत्र का वापस  बार उच्चारण करेंगे. साधक चाहे तो खुद या दूसरे व्यक्ति के माध्यम से मिठाई खिला सकता है. साध्य व्यक्ति में कुछ ही दिन में निश्चित रूप से वैचारिक परिवर्तन जाता है और साधक को अनुकूलता मिलती है. साधक माला को किसी देवी मंदिर में यथा शक्ति दक्षिणा के साथ चड़ा दे तथा अगर मिठाई बच गई हो तो उसे प्रवाहित कर दे