Sunday, August 19, 2012

आरती राग में गाई जाती है

 देवी-देवताओं की भक्ति और प्रसन्नता के लिए कई प्रकार के उपाय पुराने समय से ही चले आ रहे हैं। भगवान को प्रसन्न करने के लिए आरती की जाती है और आरती राग में गाई जाती है। आरतियां राग में गाने के पीछे धार्मिक कारण के साथ ही वैज्ञानिक कारण भी है।

आरती राग में करने का धार्मिक कारण यही है कि संगीतमय आरती भगवान को भी जल्दी प्रसन्न करती है। सही संगीत हर स्थिति में मन को सुकून देता है। हमारे धर्म ग्रंथों में कई प्रसंग ऐसे आते हैं जहां भगवान की प्रार्थना में विभिन्न वाद्ययंत्रों के साथ-साथ उनकी स्तुति को सही सुर में गाया जाता है। ऐसे स्तुति गान से देवी-देवता तुरंत ही प्रसन्न हो जाते हैं, ऐसा माना जाता है।

प्रतिदिन सुबह के समय सही सुर-ताल के साथ आरती करना हमारे स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। सही सुर में गायन करने से हमारे शरीर के सभी अंग प्रभावित होते हैं। हमें ऊर्जा मिलती है, रक्त संचार सुचारू रूप से चलने लगता है। आरती गान को योगा की तरह भी देखा जा सकता है। इससे हमारी आवाज साफ और सुरीली हो जाती है। नियमित आरती करने वाले लोगों की आवाज में अलग ही आकर्षण पैदा हो जाता है। साथ ही गले से संबंधित कई रोग हमेशा दूर ही रहते हैं। इनके अलावा भी कई अन्य स्वास्थ्य संबंधी लाभ हैं। लाभों को देखते हुए ही आरतियां राग में गाने की परंपरा प्रचलित है।

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