Thursday, October 25, 2012

किस प्रकार की मूर्तियां नहीं रखना चाहिए

 देवी-देवताओं की कृपा हमेशा हम पर बनी रहे इसके लिए घर-घर में भगवान की प्रतिमाएं रखने और छोटे-छोटे मंदिर बनाने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। घर में कैसी मूर्तियां रखनी चाहिए और किस प्रकार की मूर्तियां नहीं रखना चाहिए, इस संबंध में शास्त्रों में कई प्रकार के नियम बताए गए हैं। यहां दिए गए फोटो में देखिए... वैसे तो कण-कण में परमात्मा विद्यमान है। फिर भी भगवान की आराधना में हमारा ध्यान या मन पूरी तरह से लगा रहे इसके लिए मूर्तियों की पूजा की जाती है। मूर्तियों की पूजा के संबंध में एक बात ध्यान रखने योग्य है कि यदि कोई मूर्ति किसी प्रकार से खंडित हो जाए तो उसकी पूजा नहीं करना चाहिए। केवल शिवलिंग को खंडित नहीं माना जाता है क्योंकि भगवान शिव को निराकार माना गया है। अत: शिवलिंग हर स्थिति में पूजनीय और पवित्र रहता है। ईश्वर की भक्ति में भगवान की मूर्ति का अत्यधिक महत्व है। प्रभु की मूर्ति देखते ही भक्त के मन में श्रद्धा और भक्ति के भाव स्वत: ही उत्पन्न हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार भगवान की प्रतिमा पूर्ण होना चाहिए, यदि मूर्ति खंडित हो तो उसे पूजा योग्य नहीं माना जाता है। खंडित मूर्ति की पूजा को अपशकुन भी माना गया है। प्रतिमा की पूजा करते समय भक्त का पूरा ध्यान भगवान और उनके स्वरूप की ओर ही होता है। अत: ऐसे में यदि प्रतिमा खंडित होगी तो भक्त का सारा ध्यान उस मूर्ति के खंडित हिस्से पर चले जाएगा और वह पूजा में मन नहीं लगा सकेगा। जब पूजा में मन नहीं लगेगा तो व्यक्ति भगवान की ठीक से भक्ति नहीं कर सकेगा। पूजा अधूरी रह जाएगी। इसी बात को समझते हुए प्राचीन काल से ही खंडित मूर्ति की पूजा को अपशकुन बताते हुए उसकी पूजा निष्फल बताई गई है। खंडित मूर्ति के कारण वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रीय हो जाती है, इसी कारण ऐसी प्रतिमाओं को घर में भी नहीं रखना चाहिए। खंडित प्रतिमाओं को किसी पवित्र नदी या सरोवर में प्रवाहित कर देना चाहिए।

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