शास्त्रों के अनुसार देवी-देवताओं के दर्शन मात्र से हमारे सभी पाप अक्षय पुण्य में
बदल जाते हैं। इस बात के महत्व को देखते हुए ऋषि-मुनियों द्वारा कई नियम बनाए गए
हैं। वैसे तो सभी देवी-देवताओं के दर्शन कहीं से भी कर सकते हैं लेकिन श्रीगणेश और
भगवान विष्णु की पीठ के दर्शन नहीं करना चाहिए। गणेशजी और भगवान विष्णु दोनों ही
देवों के दर्शन पीछे से नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पर पुण्य की प्राप्ति नहीं होती
है। ये दोनों ही देव सभी सुखों को देने वाले माने गए हैं। अपने भक्तों के सभी दुखों
को दूर करते हैं और उनकी शत्रुओं से रक्षा करते हैं। इनके नित्य दर्शन से हमारा मन
शांत रहता है और सभी कार्य सफल होते हैं। गणेशजी को रिद्धि-सिद्धि का दाता माना गया
है। इनकी पीठ के दर्शन करना वर्जित किया गया है। गणेशजी के शरीर पर जीवन और
ब्रह्मांड से जुड़े अंग निवास करते हैं। गणेशजी की सूंड पर धर्म विद्यमान है तो
कानों पर ऋचाएं, दाएं हाथ में वर, बाएं हाथ में अन्न, पेट में समृद्धि, नाभी में
ब्रह्मांड, आंखों में लक्ष्य, पैरों में सातों लोक और मस्तक में ब्रह्मलोक विद्यमान
है। गणेशजी के सामने से दर्शन करने पर उपरोक्त सभी सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त हो जाती है।
ऐसा माना जाता है इनकी पीठ पर दरिद्रता का निवास होता है। गणेशजी की पीठ के दर्शन
करने वाला व्यक्ति यदि बहुत धनवान भी हो तो उसके घर पर दरिद्रता का प्रभाव बढ़ जाता
है। इसी वजह से इनकी पीठ नहीं देखना चाहिए। जाने-अनजाने पीठ देख ले तो श्री गणेश से
क्षमा याचना कर उनका पूजन करें। तब बुरा प्रभाव नष्ट होगा। भगवान विष्णु की पीठ पर
अधर्म का वास माना जाता है। शास्त्रों में लिखा है जो व्यक्ति इनकी पीठ के दर्शन
करता है उसके पुण्य खत्म होते जाते हैं और अधर्म बढ़ता जाता है। इन्हीं कारणों से
श्री गणेश और विष्णु की पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए।
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