Tuesday, May 15, 2012

जब भी किसी मंदिर जाएं तो जरूर करें ये एक काम, क्योंकि...

 शास्त्रों में देवी-देवताओं की पूजा से संबंधित कई नियम बताए गए हैं। जिनका पालन करने पर पूर्ण पुण्य लाभ अर्जित होता है। नियमों का पालन न करने पर श्रद्धालु को भगवान की कृपा शीघ्र प्राप्त नहीं हो पाती है। किसी भी देवी-देवता की पूजा के दौरान उनकी परिक्रमा करनी चाहिए। ऐसा करने पर ही पूजन कर्म पूर्ण माना जाता है। सामान्यत: यह बात सभी जानते हैं कि भगवान की आरती, पूजा आदि कर्मों में परिक्रमा का विशेष महत्व है। जानिए हम देवी-देवताओं की परिक्रमा क्यों करते हैं... हिन्दू धर्म के शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान की परिक्रमा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और इससे हमारे पाप नष्ट होते हैं। सभी देवताओं की परिक्रमा के संबंध में अलग-अलग नियम बताए गए हैं। आरती के बाद मंदिर के क्षेत्र में काफी सकारात्मक ऊर्जा एकत्रित हो जाती है जो वहां मौजूद श्रद्धालुओं पर चमत्कारिक प्रभाव डालती है। सभी का मन शांत और चिंताओं से मुक्त जो जाता है। ईश्वर के होने का अहसास होता है और उनकी भक्ति में ध्यान लग जाता है। मंदिर के केंद्र में भगवान की प्रतिमा स्थित होती है अत: सकारात्मक ऊर्जा अथवा दैवीय शक्ति उसी प्रतिमा के आसपास सबसे अधिक एकत्र होती है। आरती के बाद उस शक्ति को ग्रहण करने के लिए परिक्रमा की परंपरा बनाई गई है। जिससे भक्तों की सोच भी सकारात्मक बने और बुरे विचारों से वे मुक्त हो सके। प्रतिमा की परिक्रमा करने से हमारे मन को अचानक ही शांति मिलती है और उन क्षणों में हमारे मन को भटकाने वाली सोच समाप्त हो जाती है, भगवान में मन लगता है।

No comments: