घर में मंदिर की जैसी स्थिति होती है, वहां रहने वाले सदस्यों का जीवन भी
वैसा ही होता है। जिन लोगों के घर में मंदिर का आकार दोष पूर्ण होता है
उन्हें कई प्रकार के कष्टों के साथ मानसिक अशांति एवं धन की कमी का सामना
करना पड़ता है। मंदिर से अच्छे और शुभ फल प्राप्त करना हो तो मंदिर का आकार
पिरामिड जैसा होना चाहिए। प्राचीन काल से ही मंदिरों का शिखर पिरामिड के
आकार का ही बनाया जाता है और इससे कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
भगवान की भक्ति के लिए सभी के घरों में देवस्थान या मंदिर अवश्य ही होते
हैं। मंदिर का शिखर पिरामिड के आकार होना बहुत शुभ माना जाता है। इसी वजह
से बड़े-बड़े मंदिरों के शिखर भी पिरामिड के आकार के ही होते हैं।
घर में पिरामिड के आकार का शिखर वाला मंदिर होने से परिवार के सभी सदस्यों
की चिंताएं दूर हो जाती हैं, मन की सारी अंशाति, आत्मिक शांति में बदल जाती
है। पिरामिड की बनावट ऐसी होती है कि यह वातावरण से सकारात्मक ऊर्जा को
ग्रहण करता है। जहां पिरामिड होता है वहां नकारात्मक ऊर्जा यानि बुरी
शक्तियां अपना प्रभाव नहीं दिखा पाती।
वास्तु के अनुसार पिरामिड का शाब्दिक अर्थ है अग्नि शिखा। अग्नि शिखा का मतलब है कि एक ऐसी अदृश्य ऊर्जा जो आग
के समान होती है। यह शक्ति पिरामिड के प्रभाव में घर में रहने वाले लोगों
को मिलती है। पिरामिड प्रकृति से ऊर्जा एकत्रित करता है। पिरामिड की
छोटी-छोटी प्रतिकृतियां अंदर से खाली होती हैं जो कि विद्युत चुंबकीय वर्ग
आदि की ऊर्जा निर्मित करती है। इसी वजह से मंदिरों के शिखर पिरामिड की तरह
बनाए जाते हैं जिससे वहां आने वाले व्यक्तियों को ऊर्जा मिलती रहे। यदि
किसी व्यक्ति के घर में पिरामिड के आकार का मंदिर रखना संभव न हो तो वास्तु
के अनुसार बताए गए पिरामिड को घर में रख सकते हैं। यह भी काफी सकारात्मक
परिणाम देता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी घर के मंदिर का शिखर पिरामिड जैसा बनाने से
घर के वास्तु दोष और कई प्रकार के ग्रह दोष भी स्वत: ही समाप्त हो जाते
हैं। ग्रह दोष समाप्त होने पर बुरा समय टल जाता है और धन संबंधी समस्याएं
भी समाप्त हो जाती हैं। दुर्भाग्य नष्ट होता है और भाग्य बनता है। ऐसे
मंदिर के समक्ष प्रार्थना करने पर हमारी इच्छाएं जल्द ही पूर्ण हो जाती
हैं। ऐसे में मंत्र जप का भी चमत्कारिक प्रभाव पड़ता है।
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