हमेशा से ही हनुमानजी भक्तों की मनोकामनाएं शीघ्रता से पूर्ण करने वाले
देवता माने जाते हैं। हर युग में श्रीराम के अनन्य भक्त बजरंग बली
श्रद्धालुओं के दुखों को दूर करके उन्हें सुखी और समृद्धिशाली बनाते हैं।
इसी कारण आज इनके भक्तों की संख्या काफी अधिक है। मंगलवार और शनिवार के दिन
हनुमानजी के मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। शास्त्रों के अनुसार
कुछ नियम बताए गए हैं जिनका पालन हमें हनुमानजी के दर्शन करते समय और पूजन
में करना चाहिए।
सभी देवी-देवताओं की तरह हनुमानजी के पूजन के बाद उनकी परिक्रमा करने की
प्रथा है। इस संबंध में शास्त्रों में बताया गया है कि हनुमानजी की कितनी
परिक्रमा करनी चाहिए।
प्राचीन ऋषि-मुनियों के अनुसार आरती और पूजा-अर्चना आदि के बाद भगवान की
मूर्ति के आसपास सकारात्मक ऊर्जा एकत्रित हो जाती है, इस ऊर्जा को ग्रहण
करने के लिए परिक्रमा की जाती है। सभी देवी-देवताओं की परिक्रमा की अलग-अलग
संख्या है। श्रीराम के परम भक्त पवनपुत्र श्री हनुमानजी की तीन परिक्रमा
करने का विधान है। भक्तों को इनकी तीन परिक्रमा ही करनी चाहिए। ऐसा करने पर
हनुमानजी की कृपा जल्दी ही प्राप्त हो जाती है।
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