घर में स्थित मंदिर, परिवार को सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव
से बचाता है। मंदिर में मूर्तियां यदि शास्त्रों के अनुसार रखी जाए तो और
भी अधिक चमत्कारिक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। अधिकांश लोग जाने-अनजाने
सही आकार की मूर्तियां घर के मंदिर में नहीं रखते हैं जिससे पूजा का उचित
फल प्राप्त नहीं हो पाता है।
जीवन से जुड़ी सभी समस्याओं का निराकरण करना हो तो देवी-देवताओं की भक्ति
से अच्छा कोई ओर विकल्प नहीं है। इसी वजह से सभी के घरों में भगवान की पूजा
आदि के लिए विशेष स्थान अवश्य बनाया जाता हैं, जहां देवी-देवताओं की
प्रतिमाएं या फोटो या प्रतीक चिन्ह रखें जाते हैं।
घर के पूजन कक्ष में रखी गई भगवान की मूर्तियां हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव
डालती हैं। इसी वजह से प्रतिमाओं के गहरे महत्व को देखते हुए शास्त्रों में
इस संबंध में कई नियम बताए गए हैं। इसके अलावा प्राचीन ऋषि-मुनियों के
अनुसार भी घर के मंदिर में रखी जाने वाली देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का
आकार तीन इंच ( 3" ) से ज्यादा नहीं होना चाहिए या हमारे अंगूठे की लंबाई के बराबर
ही मूर्तियां रखनी चाहिए। इस आकार से बड़ी मूर्तियां घर के मंदिर में नहीं रखना चाहिए। मूर्तियां बहुत
संवेदनशील होती हैं इसी वजह से अधिक बड़ी मूर्तियां घर के पूजन कक्ष नहीं
रखना चाहिए। बड़ी मूर्तियों की पूजा में कई नियमों का पालन करना होता है।
इनकी पूजा में त्रुटि होना अशुभ माना जाता है और पुण्य लाभ भी प्राप्त नहीं
हो पाता है।
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