Tuesday, May 1, 2012

ऐसे लोगों के घर कभी नहीं जाना चाहिए, क्योंकि...

 सुख और शांतिपूर्ण जीवन के लिए शास्त्रों में कई मार्ग बताए गए हैं। कुछ ऐसे नियम भी बनाए हैं जिनका पालन पर व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान के साथ ही सभी सुख-सुविधाएं भी प्राप्त हो जाती हैं। समाज और घर-परिवार में अक्सर एक-दूसरे के घर जाने का काम पड़ता है। ऐसे में हमें किन लोगों के घर नहीं जाना चाहिए, इस संबंध में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस में नियम बताया गया है- जदपि मित्र प्रभु पितु गुर गेहा। जाइअ बिनु बोलेहं न संदेहा॥ तदपि बिरोध मान जहं कोई । तहां गएं कल्यानु न होई ॥ -श्रीरामचरितमानस १/६२/ इसका सामान्य अर्थ यही है कि यद्यपि इसमें संदेह नहीं कि मित्र, स्वामी, पिता और गुरु के घर बिना बुलाए भी जाना चाहिए लेकिन जहां कोई विरोध मानता हो या आपका सम्मान न करता हो, उसके घर जाने से कल्याण नहीं होता। श्रीरामचरित मानस में शिवजी माता उमा को संबोधित करते हुए बताते हैं कि कभी भी ऐसे लोगों के घर नहीं जाना चाहिए जो तुमसे विरोध या द्वेष भाव रखता हो। फिर चाहे वह पिता, गुरु, स्वामी या मित्र का ही घर क्यों न हो। इसका कारण यह है कि वहां जाने से अपमान के सिवाय कुछ और प्राप्त नहीं होता। कोई भी व्यक्ति अपमान पसंद नहीं करता। अत: अपमान से बचना हो तो ऐसे लोगों के घर नहीं जाना चाहिए।

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