श्रीमद्भगवद्गीता में भी भगवान कृष्ण ने पीपल को स्वयं का स्वरूप बताया है। इसे 'अश्वत्थ' कहकर पुकारा गया है। यही कारण है कि देवमूर्ति की पूजा या मंदिर न जाने की दशा में पीपल पूजा ही दरिद्रता दूर कर सुख, ऐश्वर्य व धन की कामना को पूरी करने वाली मानी गई है।
इसके लिए हर रोज या विशेष वार, तिथियों पर एक विशेष मंत्र का ध्यान कर पीपल पूजा का महत्व बताया गया है। तस्वीरों के जरिए जानिए पीपल के धार्मिक महत्व के साथ मंत्र विशेष से पीपल पूजा की सरल विधि -
मान्यता है कि पीपल की जड़, मध्य भाग व अगले भाग में क्रमश: ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। इसकी शाखाओं व अन्य भागों में वसु, रुद्र, वेद, यज्ञ, समुद्र, कामधेनु के साथ ही अनेक देवी-देवताओं को निवास माना जाता है। इसलिए सांसारिक जीवन से जुड़ी हर कामनासिद्धि और दु:ख-दरिद्रता का अंत करने के लिए पीपल पूजा बहुत ही शुभ मानी गई है। यही नहीं, पीपल पूजा ग्रह दोष शांति भी करने वाली बताई गई है। अगली तस्वीर क्लिक कर जानिए पीपल पूजा का आसान तरीका व मंत्र -
सूर्योदय के पहले जागकर स्नान के बाद सफेद वस्त्र पहन पवित्र स्थान पर स्थित पीपल वृक्ष की जड़ में गाय का दूध, तिल व चंदन मिला गंगाजल या कुंड, नदी का पवित्र जल अर्पित करें। - बाद जनेऊ फूल व नैवेद्य चढ़ाएं, धूप बत्ती व दीप जलाकर करीब ही आसन पर बैठ या खड़े रहकर नीचे लिखा मंत्र विशेष बोलते हुए त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु व महेश का स्मरण करें व तमाम परेशानियों से रक्षा की कामना करें - मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे। अग्रत: शिवरूपाय वृक्षराजाय ते नम:।। आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्। देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।। - मंत्र स्मरण के बाद त्रिदेव की आरती करें, प्रसाद ग्रहण करें व पीपल की जड़ में अर्पित थोड़ा सा जल घर में लाकर छिड़कें । यह श्री व सौभाग्य वृद्धि करने वाला माना गया है।
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