Wednesday, June 20, 2012

श्री हनुमान उपासना करें तो इन बातों का रहे ध्यान, नहीं तो.

रामदूत श्री हनुमान भक्ति, सेवा, श्रद्धा और समर्पण की साक्षात् मूर्ति हैं। यही नहीं श्री हनुमान चरित्र पावनता और ब्रह्मचर्य व्रत का दृढ़ता से पालन कर सुखद जीवन जीने की प्रेरणा देता है। शास्त्रों में श्री हनुमान भक्ति के लिए भी ब्रह्मचर्य से जुड़े पवित्रता, संयम और अनुशासन के भावों को अपनाना जरूरी बताया गया है। माना गया है कि इनके अभाव में देवदोष लगता है, जो जीवन में दु:खों का एक कारण भी माना गया है। 

वैसे श्री हनुमान रुद्र अवतार हैं, इसलिए माना जाता है कि शिव की भांति ही वह भी भक्ति और साधना के सरल उपायों से शीघ्र कृपा कर देते हैं, जो संकटमोचक और कामनासिद्धि करने वाली होती है। 

खासतौर पर मंगलवार, शनिवार और हनुमान उत्सवों की विशेष तिथियों पर हनुमान उपासना में इन उपायों को अपनाते वक्त कुछ बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए, ताकि हनुमान भक्ति के लिए नियत मर्यादा के भंग होने का दोष न लगे - 

- ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें यानी तन, मन, विचार, वचन में पवित्रता व संयम रखकर ही हनुमान उपासना करें। 

- हनुमान के मंत्र स्मरण लाल या पीले आसन पर रुद्राक्ष की माला से असरदार माने गए हैं। 

- हनुमान को सुख की कामना से चमेली के तेल व संकटमोचन के लिए तिल के तेल के साथ सिंदूर का चोला चढ़ाना शुभ फलदायी माना जाता है। 

- केसर मिले लाल चंदन के साथ लाल फूल जैसे कमल, गुलाब आदि अर्पित करें। 

- पवित्रता के लिए ही श्री हनुमान को गाय के शुद्ध घी से बना प्रसाद चढ़ाएं। 

- खासतौर पर सुबह गुड़-चना, नारियल, दोपहर में गुड़-घी के लड्डू या चूरमा व शाम को फल अर्पित करें। गुग्गल धूप लगाएं। 

- श्री हनुमान के नेत्रों की ओर दृष्टि रख मंत्र जप या स्तुति का पाठ करें और इतनी आस्था से करें कि आंखे बंद होने पर भी श्री हनुमान का स्वरूप मन-मस्तिष्क में मौजूद रहे और दिखाई दे। 

- श्री हनुमान उपासना के बाद सिंदूर मस्तक पर जरूर लगाएं और प्रसाद ग्रहण कर मन में पवित्र कार्य और विचारों का संकल्प लें। श्री हनुमान को समर्पित जनेऊ, लाल मौली या काला धागा शरीर पर धारण करें। 

सार यही है कि श्री हनुमान की भक्ति हर तरह से पवित्रता व संयम को अपनाकर ही करें। शास्त्रों के मुताबिक तन, मन या धन किसी भी रूप में अपवित्रता या दरिद्रता देव दोष का भागी बना कर बड़े कष्टों का कारण बनती है।

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