Friday, June 22, 2012

जानवरों की पूजा की जाती है

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शास्त्रों में केवल इंसान ही नहीं जानवरों के प्रति भी समानता का भाव रखने की बात कही जाती रही है। जिस इंसानों की दुख और दर्द होते हैं ठीक उसी प्रकार जानवरों को इनका अहसास होता है। अत: इनकी उचित देखभाल करने का नियम बनाया गया है। जो लोग जानवरों की ओर भी ध्यान देते हैं उन्हें अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, ऐसी मान्यता है। कुछ ऐसे जानवर हैं जिनकी पूजा करने का भी विधान बताया गया है।


गाय: ऐसा माना जाता है कि गाय के शरीर में हिन्दूओं के समस्त देवी-देवता वास करते हैं। इसी वजह गाय को पूज्य और पवित्र माना गया है।




हाथी: हाथी को श्रीगणेश का प्रतीक माना जाता है। श्रीगणेश का मुख भी हाथी के समान ही है, इसी वजह से हाथी की पूजा की जाती है।


घोड़ी: आज भी विवाह के दौरान दूल्हा घोड़ी पर ही बैठता है और इससे पूर्व घोड़ी का पूजन किया जाता है। घोड़ी के पूजन के बाद ही दूल्हा उस पर बैठता है। यह एक प्राचीन परंपरा है, इसे शुभ शकुन भी माना जाता है। इस संबंध में ऐसी मान्यता है कि इससे दूल्हा और दुल्हन के वैवाहिक जीवन सुख और समृद्धि बनी रहती है।


घोड़े: प्राचीन काल में जब भी राजा-महाराज किसी युद्ध पर जाने से पूर्व घोड़ों की पूजा करते थे। तब ऐसी मान्यता थी कि घोड़ों की पूजा करने पर युद्ध में विजय प्राप्त होती है।



बैल: शिवजी का वाहन है बैल या नंदी। नंदी की पूजा इसी वजह से की जाती है। ग्रामीण अंचल में कृषि संबंधी कार्य की शुरूआत बैल की पूजा के साथ ही जाती है। क्योंकि बैल की मदद से कृषि के कार्य पूर्ण हो सकते हैं।



सांप: शास्त्रों के अनुसार सांप शिवजी का अति प्रिय जीव है। इसी वजह से शिवजी इसे गले में धारण करते हैं और इसी वजह से सांप की पूजा भी जाती है। प्रतिवर्ष नाग पंचमी विशेष रूप से नाग यानि सांप की पूजा का दिन ही है।


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