व्यक्ति कड़ी मेहनत करता है तभी उसे धन की प्राप्ति होती है। कई बार धनी व्यक्ति गरीब हो जाता है तो कुछ गरीब लोग अमीर हो जाते हैं। ऐसा क्यों होता है,
चला लक्ष्मीश्चला: प्राणश्चले जीवितमन्दिरे।
चलाऽचले च संसारे धर्म एको हि निश्चल:।।
धन की देवी महालक्ष्मी का स्वभाव चंचल होता है। हमारे प्राण भी चंचल ही है। जीवन तथा घर-द्वार भी चंचल स्वभाव के ही होते हैं। यहां तक कि ये संसार भी चंचल स्वभाव का ही है। केवल धर्म का स्वभाव ही अटल और अचल होता है।
महालक्ष्मी का स्वभाव चंचल होता है इसी वजह से रातोंरात कोई अमीर गरीब हो जाता है तो कोई कंगाल व्यक्ति अमीर हो जाता है। लक्ष्मी इसी स्वभाव के कारण हमेशा एक व्यक्ति के पास नहीं रहती है। जिस व्यक्ति के जैसे कर्म रहते हैं वैसी ही कृपा महालक्ष्मी उस व्यक्ति पर करती हैं।
इसी प्रकार व्यक्ति के प्राण भी चंचल होते हैं। जिस मनुष्य ने जीवन प्राप्त किया है उसे मृत्यु भी अवश्य प्राप्त होती है। ऐसा संभव नहीं है कि प्राण स्थिर हो जाए। कोई भी मनुष्य सदैव जवान नहीं सकता है, बुढ़ापा अवश्य आता है। इसी बात से स्पष्ट होता है कि हमारे प्राण भी चंचल स्वभाव के होते हैं।
ये संसार भी चंचल का स्वभाव माना गया है, कभी भी संसार एक जैसा नहीं रहता है। हर कुछ न कुछ परिवर्तन अवश्य होता है।
इंसान की मृत्यु के बाद केवल उसके कर्म का फल ही उसके साथ रहता है। इसीलिए हमें धार्मिक कार्य करते रहना चाहिए, इन्हीं कर्मों का पुण्य फल हमारा साथ देता है। धर्म ही अटल और अचल है।
चला लक्ष्मीश्चला: प्राणश्चले जीवितमन्दिरे।
चलाऽचले च संसारे धर्म एको हि निश्चल:।।
धन की देवी महालक्ष्मी का स्वभाव चंचल होता है। हमारे प्राण भी चंचल ही है। जीवन तथा घर-द्वार भी चंचल स्वभाव के ही होते हैं। यहां तक कि ये संसार भी चंचल स्वभाव का ही है। केवल धर्म का स्वभाव ही अटल और अचल होता है।
महालक्ष्मी का स्वभाव चंचल होता है इसी वजह से रातोंरात कोई अमीर गरीब हो जाता है तो कोई कंगाल व्यक्ति अमीर हो जाता है। लक्ष्मी इसी स्वभाव के कारण हमेशा एक व्यक्ति के पास नहीं रहती है। जिस व्यक्ति के जैसे कर्म रहते हैं वैसी ही कृपा महालक्ष्मी उस व्यक्ति पर करती हैं।
इसी प्रकार व्यक्ति के प्राण भी चंचल होते हैं। जिस मनुष्य ने जीवन प्राप्त किया है उसे मृत्यु भी अवश्य प्राप्त होती है। ऐसा संभव नहीं है कि प्राण स्थिर हो जाए। कोई भी मनुष्य सदैव जवान नहीं सकता है, बुढ़ापा अवश्य आता है। इसी बात से स्पष्ट होता है कि हमारे प्राण भी चंचल स्वभाव के होते हैं।
ये संसार भी चंचल का स्वभाव माना गया है, कभी भी संसार एक जैसा नहीं रहता है। हर कुछ न कुछ परिवर्तन अवश्य होता है।
इंसान की मृत्यु के बाद केवल उसके कर्म का फल ही उसके साथ रहता है। इसीलिए हमें धार्मिक कार्य करते रहना चाहिए, इन्हीं कर्मों का पुण्य फल हमारा साथ देता है। धर्म ही अटल और अचल है।
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