हिन्दू धर्म में पंचदेवों को एक ही ईश्वर का अलग-अलग रूप और शक्तियां माना जाता है। यही कारण है कि जो व्यक्ति किसी भी कामना सिद्धि या हर काम में सफलता चाहता है, शास्त्रों के मुताबिक उसे एक नहीं बल्कि अनेक देवताओं की पूजा करना चाहिए। जिसके लिये श्री गणेश के संग सूर्यदेव, दुर्गा, शिव और श्री विष्णु की पूजा जरूरी बताई गई है।
ऐसी स्थिति में जबकि किसी भक्त की पंचदेवों में ही गहरी आस्था हो तो सबसे पहले किस देवता की पूजा करे? क्योंकि सामान्यत: श्री गणेश को पहले पूजने की परंपरा है। इस संबंध में शास्त्रों में बताया गया है कि समान भक्ति भाव होने पर भक्त को सबसे पहले गणेश नहीं बल्कि सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए। यह बात उस परंपरा के विपरीत लगती है, जिसके मुताबिक श्री गणेश प्रथम पूज्य हैं। जानिए, शास्त्रों में लिखी एक रोचक बात। शास्त्र कहते हैं -
रविर्विनायकश्चण्डी ईशो विष्णुस्तथैव च।
अनुक्रमेण पूज्यन्ते व्युत्क्रमे तु महद् भयम्।।
इसका अर्थ है उपासक को पंचदेवों में सबसे पहले भगवान सूर्य उनके बाद श्री गणेश, मां दुर्गा, भगवान शंकर और भगवान विष्णु को पूजना चाहिए।
ऐसी स्थिति में जबकि किसी भक्त की पंचदेवों में ही गहरी आस्था हो तो सबसे पहले किस देवता की पूजा करे? क्योंकि सामान्यत: श्री गणेश को पहले पूजने की परंपरा है। इस संबंध में शास्त्रों में बताया गया है कि समान भक्ति भाव होने पर भक्त को सबसे पहले गणेश नहीं बल्कि सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए। यह बात उस परंपरा के विपरीत लगती है, जिसके मुताबिक श्री गणेश प्रथम पूज्य हैं। जानिए, शास्त्रों में लिखी एक रोचक बात। शास्त्र कहते हैं -
रविर्विनायकश्चण्डी ईशो विष्णुस्तथैव च।
अनुक्रमेण पूज्यन्ते व्युत्क्रमे तु महद् भयम्।।
इसका अर्थ है उपासक को पंचदेवों में सबसे पहले भगवान सूर्य उनके बाद श्री गणेश, मां दुर्गा, भगवान शंकर और भगवान विष्णु को पूजना चाहिए।
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