वर्तमान समय में युवाओं के सामने सबसे बड़ी समस्या करियर बनाने की होती है। युवाओं के सामने इतने विकल्प होते हैं कि वह यह समझ ही नहीं पाते कौन से क्षेत्र में अपना करियर संवारें। ऐसे में जन्मकुंडली देखकर यह जाना जा सकता है कि कौन सा क्षेत्र उसके करियर के लिए उपयुक्त है। जन्मकुंडली का नवम भाव त्रिकोण स्थान है, जिसके कारक देवगुरु बृहस्पति हैं। यह भाव शिक्षा में महत्वकांक्षा और उच्चशिक्षा को दर्शाता है।
1. कला-पंचम-पंचमेश और इस भाव के कारक गुरु का पीड़ित होना कला के क्षेत्र में पढ़ाई में बाधक होता है। इन पर शुभ ग्रहों की दृष्टि पढ़ाई पूरी करवाने में सक्षम होती है।
2. जीवविज्ञान-सूर्य का जलीय तत्व की राशि में स्थित होना, षष्ट और दशम भाव-भावेश के बीच संबंध, सूर्य और मंगल का संबंध आदि चिकित्सा क्षेत्र में पढ़ाई के कारक होते हैं। लग्न-लग्नेश और दशम-दशमेश का संबंध अश्विनी, मघा अथवा मूल नक्षत्र से हो तो चिकित्सा क्षेत्र में सफलता मिलती है।
3. वाणिज्य-कुंडली में लग्न-लग्नेश का संबंध बुध के साथ-साथ गुरु से भी हो तो जातक वाणिज्य विषय की पढ़ाई सफलतापूर्वक करता है।
4. इंजीनियरिंग-जन्म, नवांश अथवा चंद्रलग्न से मंगल चतुर्थ स्थान में हो अथवा चतुर्थेश मंगल की राशि में स्थित हो तो जातक इंजीनियरिंग की पढ़ाई करता है। साथ ही यदि मंगल की चतुर्थ भाव अथवा चतुर्थेश पर दृष्टि हो अथवा चतुर्थेश के साथ युति हो तो भी जातक इसी क्षेत्र में अपना करियर बनाता है।
5. गणित-गणित के कारक ग्रह बुध का संबंध यदि जातक के लग्न, लग्नेश अथवा लग्न नक्षत्र से होता है तो जातक गणित विषय में सफल होता है जैसे- बैंक, अकाउंट्स व सीए आदि।
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