1. दीन, निर्धन, अनाथ, विकलांग तथा रोगी को किया दान अक्षय फलदायक होता है। गाय का दान या गोरक्षा करना भी गोदान समान है। गरीब विद्यार्थी को पुस्तकें देना और उसकी आर्थिक सहायता करना उत्तम दान है। जहां कई गरीब छात्र साथ रहकर अध्ययन करते हों, वहां अन्न दान करना दोनों लोकों में सुखदायक माना गया है। धन का दान उसे ही देना उचित है, जिसे उसकी अति आवश्यकता हो। सर्वसुविधा संपन्न व्यक्ति को धन का दान नहीं देना चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि उचित पात्र को दिया दान ही पुण्यदायक होता है। तप से हीन, अनाचार करने वाले, दंभी, विद्याहीन, वेदहीन को दान नहीं देना चाहिए और न ही उन्हें ग्रहण करना चहिए।
2. रोग मुक्ति के लिए प्रतिपदा को ब्राह्मण को गाय का घी दें.
3. कर्ज मुक्ति हेतु मंगल को शिव मंदिर में झाड़ू दान दें।
4. दान की राशि एवं वस्तु गुप्त रखें। प्रचार करने से फल घटता है।
5. प्रयुक्त वस्तु दान न करें। दान दी वस्तु या धन वापस पाने की इच्छा रखने पर उसका पुण्य नहीं मिलता।
6. भाग्य बल के लिए शनिवार को सुबह लोहा दान करें।
7. कष्ट मुक्ति हेतु भिक्षुक को ऊनी वस्त्र दें।
2. रोग मुक्ति के लिए प्रतिपदा को ब्राह्मण को गाय का घी दें.
3. कर्ज मुक्ति हेतु मंगल को शिव मंदिर में झाड़ू दान दें।
4. दान की राशि एवं वस्तु गुप्त रखें। प्रचार करने से फल घटता है।
5. प्रयुक्त वस्तु दान न करें। दान दी वस्तु या धन वापस पाने की इच्छा रखने पर उसका पुण्य नहीं मिलता।
6. भाग्य बल के लिए शनिवार को सुबह लोहा दान करें।
7. कष्ट मुक्ति हेतु भिक्षुक को ऊनी वस्त्र दें।
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