Monday, July 16, 2012

पत्नी का साथ व्यक्ति को बड़ी से बड़ी मुश्किल से भी निकाल सकता है।

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किसी भी इंसान को परखना या समझना बहुत मुश्किल होता है। कोई आसानी से नहीं बता सकता कि किसी व्यक्ति के मन में क्या चल रहा है? आचार्य चाणक्य द्वारा हमसे जुड़े हर इंसान को परखने के लिए अलग-अलग समय बताया गया है। 


आचार्य के अनुसार रिश्तेदारों या मित्रों को समझने का समय अलग होता है और पत्नी को परखने का समय अलग। जब किसी व्यक्ति के जीवन में घोर विपत्ति आती है तो ऐसे ही समय में पत्नी की परीक्षा हो जाती है।


यदि कोई पत्नी अपने पति का साथ बुरी से बुरी परिस्थितियों में भी नहीं छोड़ती वह नि:संदेह श्रेष्ठ और पतिव्रता स्त्री है।


सुख के समय में तो सभी साथ देते हैं। यदि आपके पास पैसा है, समाज में मान-सम्मान है तो हर छोटी-बड़ी परेशानियों में आपके साथ काफी लोग खड़े रहेंगे। इसके विपरित यदि परिस्थितियां बदल जाए, आपका धन नष्ट हो जाए, समाज में मान-सम्मान न हो तब रिश्तेदारों से, मित्रों से अपेक्षा होती है कि वे आपकी मदद करेंगे।


कभी-कभी रिश्तेदार और मित्र भी आपके बुरे समय में साथ छोड़ देते हैं, ठीक उसी समय पत्नी का साथ व्यक्ति को बड़ी से बड़ी मुश्किल से भी निकाल सकता है। विपरित परिस्थितियों में जिस व्यक्ति की पत्नी भी साथ छोड़ दे तो उसका जीवन निश्चित ही नरक के समान हो जाएगा।

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