Monday, July 16, 2012

लड़की यदि सुंदर हो तब भी उससे नहीं करना चाहिए शादी

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विवाह या शादी को जीवन का महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है। सामान्यत: हर इंसान का विवाह अवश्य होता है। विवाह के बाद वर-वधु के साथ दोनों के परिवारों का जीवन बदलता है। इसी वजह से शादी किससे की जाए, इस संबंध में सावधानी अवश्य रखी जाती है।

कैसी लड़की से विवाह करना चाहिए और कैसी लड़की से नहीं, इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि-

वरयेत् कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम्।

रूपशीलां न नीचस्य विवाह: सदृशे कुले।।


जबकि कोई सुंदर लेकिन बुरे स्वभाव वाली कन्या विवाह के बाद परिवार को तोड़ देती है। ऐसे लड़कियों का स्वभाव व आचरण निम्न ही रहता है। जबकि धार्मिक और ईश्वर में आस्था रखने वाली संस्कारी कन्या के आचार-विचार भी शुद्ध होंगे जो एक श्रेष्ठ परिवार का निर्माण करने में सक्षम रहती है।


आचार्य चाणक्य के अनुसार समझदार और श्रेष्ठ मनुष्य वही है जो उच्चकुल या अच्छे परिवार में जन्म लेने वाली सुसंस्कारी कुरूप कन्या से विवाह कर लेता है। विवाह के बाद कन्या के गुण ही परिवार को आगे बढ़ाते हैं।


आचार्य चाणक्य कहते हैं समझदार मनुष्य वही है जो विवाह के लिए नारी की बाहरी सुंदरता न देखते हुए मन की सुंदरता देखें। यदि अच्छे परिवार की कोई कुरूप कन्या सुंस्कारी हो, अच्छे गुणों वाली हो तो उससे विवाह कर लेना चाहिए। जबकि कोई बहुत सुंदर कन्या यदि संस्कारी न हो, अधार्मिक हो, जिसका चरित्र ठीक न हो तो उससे किसी भी परिस्थिति में विवाह नहीं करना चाहिए। विवाह हमेशा समान कुल और परिवार में ही शुभ रहता है।

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