देशभर में स्थित बारह शिव ज्योर्तिलिंङ्गों में से एक उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध दक्षिणामुखी महाकालेश्वर ज्योर्तिलिङ्ग की हर रोज तड़के होने वाली भस्म आरती शिव के योगी, वैरागी और ओढऱदानी चरित्र के दिव्य दर्शन और अलौकिक अनुभूति का शुभ काल होता है।
देखिए, इस भस्म आरती की कुछ ऐसी ही दुर्लभ तस्वीरें-
भस्म आरती के दौरान महाकाल के दिव्य ज्योर्तिंलिंङ्ग को अर्पित की जाने वाली भस्म के दौरान भस्म रमाए भूत भावन महाकाल के स्वरूप में शिव पंचाक्षरी स्त्रोत में उजागर वह शिव चरित्र साक्षात प्रकट होता है, जिसमें महिमा है कि - नागेन्द्रहराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय। नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मै न कराय नम: शिवाय।।
भस्म आरती के दौरान यह क्षण तो हर भक्त के लिए शब्दों के जरिए प्रकट करना मुश्किल है, बल्कि मौजूद रहकर ही शिव भक्ति में डूब शब्दों से परे इस अलौकिक और आध्यात्मिक आनंद को महसूस किया जा सकता है। क्योंकि इस दौरान गर्भगृह में फैले अंधकार के बीच बस, आरती की जोत में होने वाले दिव्य ज्योर्तिलिंङ्ग के दर्शन जगदगुरु शिव के ज्ञान स्वरूप को साक्षात् प्रकट करता है। यह तस्वीर गत दिनों मनाए गए महाशिवरात्रि पर्व पर साल में एक बार दोपहर में होने वाली भस्म आरती का है, किंतु हर रोज ऐसे ही भस्म आरती में शिव के निराले स्वरूप के दर्शन होते हैं।
देखिए, इस भस्म आरती की कुछ ऐसी ही दुर्लभ तस्वीरें-
भस्म आरती के दौरान महाकाल के दिव्य ज्योर्तिंलिंङ्ग को अर्पित की जाने वाली भस्म के दौरान भस्म रमाए भूत भावन महाकाल के स्वरूप में शिव पंचाक्षरी स्त्रोत में उजागर वह शिव चरित्र साक्षात प्रकट होता है, जिसमें महिमा है कि - नागेन्द्रहराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय। नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मै न कराय नम: शिवाय।।
भस्म आरती के दौरान यह क्षण तो हर भक्त के लिए शब्दों के जरिए प्रकट करना मुश्किल है, बल्कि मौजूद रहकर ही शिव भक्ति में डूब शब्दों से परे इस अलौकिक और आध्यात्मिक आनंद को महसूस किया जा सकता है। क्योंकि इस दौरान गर्भगृह में फैले अंधकार के बीच बस, आरती की जोत में होने वाले दिव्य ज्योर्तिलिंङ्ग के दर्शन जगदगुरु शिव के ज्ञान स्वरूप को साक्षात् प्रकट करता है। यह तस्वीर गत दिनों मनाए गए महाशिवरात्रि पर्व पर साल में एक बार दोपहर में होने वाली भस्म आरती का है, किंतु हर रोज ऐसे ही भस्म आरती में शिव के निराले स्वरूप के दर्शन होते हैं।
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