कालसर्प और नागपंचमी का योग बहुत ही दुर्लभ होता है और बहुत खास भी। वैसे तो ये योग कभी-कभी कुछ सालों में बन जाता है। जैसे 2008 में बना था लेकिन नीच राशि में स्थित राहु-केतु के साथ बनने वाला कालसर्प योग व नाग पंचमी का संयोग 93 साल बाद बन रहा है ये विशेष दुर्लभ योग बड़ा असर देने वाला रहेगा। इससे पहले नीच राशि का ये कालसर्प योग 10 जुलाई 1919 को बना था लेकिन तब भी ये योग शनिवार को नहीं बना।
ये घटना बहुत ही दुर्लभ है। पिछले 100 से अधिक सालों में ऐसा देखने में नहीं आया कि शनिवार को शुरू होने वाले कालसर्प योग जिसमें राहु-केतु अपनी नीच राशि में रहेंगे और इसी कालसर्प में नागपंचमी का पर्व आ रहा है।
राहु और केतु के कारण कालसर्प योग बनता है। राहु और केतु शनि के दोनों हाथ हैं। शनि किसी को कर्मो का फल देता है तो राहु और केतु के द्वारा ही देता है। शनिवार को ही राहु और केतु के कालसर्प योग बनने और इस कालसर्प योग में नागपंचमी का पर्व आने के कारण ये घटना बहुत बड़ी और असरदार रहेगी।क्या होगा देश दुनिया में- राहु-केतु परेशानियां और दुर्घटनाओं के कारक होते हैं। वर्तमान में देश-दुनिया के स्तर पर देखा जाए तो कर्कोटक नाम का कालसर्प दोष बन रहा है जो बहुत अशुभ माना जाता है। इस कालसर्प से देश-दुनिया में कई बड़े बदलाव होने के योग बनेंगे। भारत की कुंडली में कालसर्प योग बन रहा है लेकिन वह उच्च राशि में बन रहा है यानि राहु और केतु दोनों अपनी उच्च राशि में हैं। वहीं वर्तमान में नीच राशि का कालसर्प योग बनेगा। यह योग भारत के लिए प्रतिकूल फल देने वाला रहेगा। भारत के लिए ये योग अशुभ संकेत देने वाला रहेगा। भारत के पड़ोसी देशों से संबंध खटाई में पड़ सकते हैं। राहु-केतु रेल दुर्घटना या कोई बड़ी दुर्घटना की ओर इशारा कर रहे हैं। इस कालसर्प में देश-दुनिया में कहीं कोई प्राकृतिक आपदा आने का योग बन रहा है। भारत के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में तेज बारिश होने के योग हैं। सीमा रेखा पर तनाव होने के योग बन रहे हैं। अपने देश की सीमाओं से जुड़े राष्ट्रों में भी तनाव की स्थिति पैदा होगी। केंद्र सरकार की अस्थिरता और देश में अशांति की स्थिति बनेगी। चूंकि राहु और केतु दोनो पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव को संचालित करते हैं और राहु मुख्य रूप से भूकंप का कारक भी होता है। इसलिए देश-दुनिया में इस समय प्राकृतिक आपदाएं, भूकंप और बारिश की असामान्य स्थिति बनेगी और अल्प वृष्टि के योग बनेंगे। उत्तर-पूर्वी राज्यों और समुद्री तटों वाले स्थान विशेष प्रभावित रहेंगे। धार्मिक विचारधारा और साधु-संतो के लिए भी समय प्रतिकूल रहेगा। बड़े संत-महात्माओं के कारण धर्म और आस्थाओं को ठेस पहुंचेगी। राजनैतिक उठा-पठक रहेगी। शेयर-बाजार की स्थिति कमजोर रहेगी। मूल्यवान धातुओं पर विदेशी निवेश का प्रभाव रहेगा। तकनीकी क्षेत्र में विकास होगा, महत्वपूर्ण निर्णय मध्य प्रदेश पर प्रभावी रहेंगे।क्या होता है कालसर्प दोष- सौर मंडल में सात ग्रह हैं। सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि इसके अलावा दो छाया ग्रह राहु और केतु है। ज्येातिष की भाषा में राहु को सांप का मुंह माना जाता है और केतु को सांप की पूंछ। किसी भी व्यक्ति की जन्मकुंडली में जब राहु-केतु के बीच में सारे ग्रह आ जाते हैं तो वह कुंडली कालसर्प दोष से ग्रस्त मानी जाती है। काल सर्प दोष अनिर्णय या असमंजस की स्थिति पैदा करता है। इससे पीड़ित व्यक्ति महत्वपूर्ण मौकों पर निर्णय लेते समय गफलत की स्थिति में आ जाता है और इससे उसका नुकसान हो जाता है। काल का अर्थ समय और सर्प का मतलब ग्यारह रुद्रों को माना जाता है, विभिन्न लोगों ने अपने-अपने विवेक और बुद्धि से कालसर्प योगों की व्याख्या की है, लेकिन भूतडामर तंत्र के अनुसार कालसर्प का पूरा ब्यौरा भगवान रुद्र (शिव) के प्रति ही माना गया है, इस प्रकार का दोष ही भगवान शिव के द्वारा अभिशापित माना जाता है, जिस प्राणी को जो सजा देनी होती है उसे उसी के अनुसार कालसर्प दोष होता है। कुछ विद्वानों ने कुंडली के पहले भाव को विष्णु और बाकि ग्यारह भावों को एकादश रूद्र का रूप माना है। ग्यारह रूद्रों के नामों के अनुसार कालसर्प दोषों को बांटा गया है।कितने तरह के होते हैं कालसर्प दोष- कुंडली में खास तौर से बारह तरह के कालसर्प दोष बताए गए हैं। मतभेद के अनुसार कुछ विद्वानों के मतानुसार कालसर्प 3456 प्रकार के होते हैं। इनमें से कर्कोटक, विषधर, घातक और शंखचूड़ यह सबसे दुष्प्रभावी कालसर्प योग होते हैं। बाकी के कालसर्प योग कम नुकसान दायक होते हैं। इनका पूजन पाठ कराने से ये शांत हो जाते हैं। कालसर्प दोष जिस व्यक्ति को होता है। वह हमेशा असमंजस में रहता है तथा कोई कार्य ठीक ढंग़ से नही कर पाता हमेशा भयग्रस्त रहता है। कुछ विद्वानों ने रूद्र और नाग लोक के नागों के नाम पर कालसर्प योग के नाम बताए हैं। विष्णु अथवा अनन्त अजैकपाद अथवा कुलिक अहिर्बुन्ध अथवा वासुकि कपाली या शंखपाल हर या पद्म बहुरूप या महापद्म त्र्यम्बक या तक्षक अपाराजित या करकट वृषाकपि या शंखचूड़ शम्भु या घातक कपर्दी या विषधर रैवत या शेषनाग किस राशि वालों के लिए रहेगा शुभ- मेष, मिथुन, सिंह, वृश्चिक, मकर, मीन किसके लिए रहेगा अशुभ- कन्या, तुला, कुंभ किसके लिए रहेगा सामान्य- वृष, कर्क, धनु मेष (चु, चे, चो, ला, ली, लू, ल, लो, अ)- शुभ मेहनत और पुरुषार्थ से उन्नति के योग बनेंगे। यश, धन, प्रतिष्ठा और मान और सम्मान में वृद्धि होगी। शत्रुओं पर विजय, पेट संबंधित परेशानियां, कानूनी विजय, मानसिक अशांति, शेयर बाजार से जुड़े मुद्दों में सफलता और व्यवसायियों के लिए समय अनुकूल रहेगा। वृष ( इ, उ, ऐ, ओ, व, वि, वू, वे, वो ) - सामान्य नई योजनाओं में निवेश के लिए समय अशुभ रहेगा। जोखिम से बचें। संतान की ओर से प्रतिकूलता रहेगी। दंत और मुख के रोग होने के योग बनेंगे। संतान की ओर से प्रतिकूलता रहेगी। अचानक धन लाभ के योग बन रहे हैं। व्यवसायिक अवसर समक्ष आएंगे लेकिन निर्णय में असहजता होगी। निजी संबंध प्रेम पूर्ण और सहयोग पूर्ण रहेंगे। मिथुन ( का, की, कू, घ, ङ:, छ, के, को, ह )- शुभ समय शुभ रहेगा लेकिन मानसिक रूप से परेशान होंगे। धन हानि से बचें। माता के लिए समय प्रतिकूल रहेगा। कार्यक्षेत्र में पदोन्नति का योग तो है लेकिन विरोधी परेशान करते रहेंगे। भूमि-भवन और वाहन का संयोग बनेगा। ठेकेदारों और व्यवसायियों के लिए समय शुभ रहेगा। कर्क ( हि, हु, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो ) -सामान्य यह समय थोड़ा अनुकूल और थोड़ा प्रतिकूल रहेगा। योजनाएं धीमी गति से पूरी होगी। अचानक यात्राओं का योग बनेगा। बदलावरों का प्रतिरोध न करें। दोस्तों से फायदा होगा। नई ऊर्जा का संचार होगा। लेखकों, बुद्धिजीवियों, कवि और प्रोफेसरों के लिए समय शुभ रहेगा। सिंह ( मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे ) - शुभ व्यवसाय के क्षेत्र में शुभ अवसर सामने आएंगे। अचानक धन लाभ के योग बनेंगे। वाकचातुर्यता से लाभ उठाएंगे। दोस्तों से सहयोग मिलेगा। निवेश के लिए समय शुभ रहेगा। माता का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। शेयर बाजार से जुड़े लोगों के लिए समय शुभ रहेगा। कन्या ( टा, पा, पी, पू, षा, ण, ठ, पे, पो ) - अशुभ स्वास्थ्य के लिए प्रतिकूल समय है। अचानक हानि और दुर्घटना का योग बनेगा। जोखिम न लें। आर्थिक हानि हो सकती है। पथरी का रोग सामने आ सकता है। वाणी का उपयोग सावधानी से करें। कोई उसका गलत फायदा उठा सकता है। छोटी- मोटी यात्राओं का योग बनेगा। पुरानी योजना और पुराने मित्र काम आएंगे। कार्यक्षेत्र में सूक्ष्म बदलाव आएंगे। तकनिकी और संचार क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए समय शुभ रहेगा। तुला ( रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते ) -अशुभ समय अच्छा नहीं रहेगा। अचानक हानि और यात्राओं का योग बन रहा है। जोखिम न लें, आर्थिक हानि होने के योग बन रहे हैं। भूमि-भवन और वाहन में धन हानि होने के योग बन रहे हैं। वैवाहिक जीवन में परिस्थितियां प्रतिकूल रहेगी। बड़े निर्णयों को टाल दें तो आपके लिए अच्छा रहेगा। वाणी संयम आवश्यक है। आयात-निर्यात के क्षेत्र वालों के लिए समय शुभ है। वृश्चिक ( तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यूं ) -शुभ दंत और मुख संबंधित रोग होने के योग बन रहे हैं। स्वास्थ्य हानि तो होगी लेकिन आर्थिक लाभ होने के योग बन रहे हैं। पैसा आने लगेगा। उच्चस्थ पदाधीकारियों से संबंध अच्छे बनेंगे। सहयोग और समन्वय बना रहेगा। अचानक यात्राओं का योग बनेगा। नए लोगों से मेलजोल बनेगा। रूका हुआ पैसा वापस मिलेगा। राजनीति वालों के लिए समय शुभ रहेगा। धनु ( ये, यो, भा, भी, भू, ध, फ, ढ, भे ) - सामान्य अविवाहितों के लिए विवाह प्रस्ताव आएंगे। कार्यक्षेत्र में सफलता, पेतृक व्यवसाय में लाभ होगा। अनचाहे निर्णय लेने पड़ सकते हैं। महत्वपूर्ण वस्तु गुम हो जाने के योग बन रहे हैं सावधान रहें। उस वस्तु के रूप में कोई जरूरी दस्तावेज भी गुम हो सकते हैं। स्थितियों को सकारात्मक दृष्टि से देखें। अभिनय के क्षेत्र वालों के लिए समय शुभ रहेगा। मकर ( भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, ग, गी ) - शुभ त्रिकोणिय व्यापार की स्थितियां निर्मित होगीं। बाहरी स्थानों से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आप सही दिशा में कदम आगे बढ़ाएंगे। अंतर्मन की आवाज सुनें और फिर कोई निजी या व्यवसायिक मामलों में कोई कदम बढ़ाएं। आप सफल होंगे। धन लाभ के योग बनेंगे। सोचे हुए काम पूरे होंगे। शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के ये समय शुभ रहेगा। कुंम्भ ( गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा ) - अशुभ इस राशि वालों के समय प्रतिकूल फल देने वाला रहेगा। कुंभ राशि के लोग परेशान हो सकते हैं। निजी संबंधों में परेशानियां पैदा हो सकती है। विभिन्न स्थितियों में कई भूमिकाएं एक साथ निभाना पड़ सकती है। दूसरों से सराहना मिलेगी। किसी पुराने व्यक्ति से मिलना संभव है। महत्वपूर्ण दक्षिण दिशा की यात्रा होगी। मानसिक रूप से शांत रहें। तेल मशीन, पुरातत्व और इतिहासकारों के लिए समय शुभ है। मीन ( दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची ) - शुभ चतुराई और कौशल से व्यवसायिक क्षेत्रों में परियोजनाओं में सफल होंगे लेकिन अनिर्णय की स्थिति बनी रहेगी। दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ें। साझेदारी संबंधी घटनाक्रम बनेगा। वैवाहिक जीवन में प्रतिकूलता की स्थिति पैदा हो सकती है। जीवनसाथी का स्वास्थ्य प्रभावित होगा। धैर्य और लगातार प्रयास करते रहने की क्षमता से आप लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होंगे। डॉक्टर, वकीलों और शासकीय कर्मचारियों के लिए समय शुभ है।राशि अनुसार नाग पंचमी पर करे कालसर्प दोष के उपाय- मेष- इस राशि के लोग कालसर्प से बचने के लिए बैल को जौ खिलाएं। वृषभ- वृष राशि के लोग किसी मंदिर या धर्म स्थल पर सफेद ध्वजा चढ़ाएं। मिथुन- मिथुन राशि के लोग गाय को हरे मूंग खिलाएं। कर्क- पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें और शिवलिंग के नाग की पूजा करें। सिंह- सिंह राशि के लोग एक मुठ्ठी जौ को गोमूत्र से धोकर लाल कपड़े में बांधे और अपने ही घर में किसी वजनदार वस्तु के नीचे दबाएं। कन्या- इस राशि के लोग हाथी दांत से बनी कोई वस्तु हमेशा अपने पास रखें। तुला- हनुमान जी को रक्त चंदन यानी लाल चंदन चढ़ाएं। वृश्चिक- इस राशि के लोग गोमूत्र पीएं और गौमूत्र से स्नान भी करें। धनु- धनु राशि वालों को इस कालसर्प योग में बहते पानी में जौ प्रवाहित करने चाहिए। मकर- मकर राशि के लोग रूद्राभिषेक करें और खुद रूद्र पाठ भी करें तो अच्छा है। कुंभ- रात में सिरहाने एक कटोरी दूध रखें और सुबह वो दूध कुत्ते को पीला दें। मीन- मीन राशि के लोग मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं। या दानें डालें। किस कालसर्प के लिए क्या उपाय करें- अनन्त - अनन्त कालसर्प दोष होने पर किसी शुभ वार को एकमुखी, आठमुखी या नौमुखी रुद्राक्ष धारण करें। - यदि स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है तो रांगे से बना सिक्का पानी में प्रवाहित करें। कुलिक - कुलिक नामक कालसर्प दोष होने पर दो रंग वाला कंबल अथवा गर्म वस्त्र दान करें। - चांदी की ठोस गोली बनवाकर उसकी पूजा करें और उसे अपने पास रखें। वासुकि - वासुकि कालसर्प दोष होने पर रात्रि को सोते समय सिरहाने पर थोड़ा बाजरा रखें और सुबह उठकर उसे पक्षियों को खिला दें। - नागपंचमी के दिन लाल धागे में तीन, आठ या नौमुखी रुद्राक्ष धारण करें। शंखपाल - शंखपाल कालसर्प दोष के निवारण के लिए 400 ग्राम साबूत बादाम बहते पानी में प्रवाहित करें। - शिवलिंग का दूध से अभिषेक करें। पद्म - पद्म कालसर्प दोष होने पर 40 दिनों तक रोज सरस्वती चालीसा का पाठ करें। - जरुरतमंदों को पीले वस्त्र का दान करें और तुलसी का पौधा लगाएं। महापद्म - महापद्म कालसर्प दोष के निदान के लिए हनुमान मंदिर में जाकर सुंदरकांड का पाठ करें। - यथाशक्ति ब्राह्मण को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा दें। तक्षक - तक्षक कालसर्प योग के निवारण के लिए 11 नारियल बहते हुए जल में प्रवाहित करें। - सफेद वस्त्र और चावल का दान करें। कर्कोटक - कर्कोटक कालसर्प योग होने पर बटुकभैरव के मंदिर में जाकर उन्हें नैवेद्य चढ़ाएं और पूजा करें। - शीशे के आठ टुकड़े पानी में प्रवाहित करें। शंखचूड़ - शंखचूड़ नामक कालसर्प दोष की शांति के लिए रात्रि को सोते समय सिरहाने जौ रखें और उसे अगले दिन पक्षियों को खिला दें। - नागपंचमी के दिन पांचमुखी, आठमुखी या नौमुखी रुद्राक्ष धारण करें। घातक - घातक कालसर्प दोष के निवारण के लिए पीतल के बर्तन में गंगाजल भरकर अपने पूजा स्थल पर रखें। - चारमुखी, आठमुखी और नौमुखी रुद्राक्ष हरे रंग के धागे में धारण करें। विषधर - विषधर कालसर्प दोष के निदान के लिए परिवार के सदस्यों की संख्या के अनुसार नारियल लेकर एक-एक नारियल पर उनका हाथ लगवाकर बहते हुए जल में प्रवाहित करें। - भगवान शिव के मंदिर में जाकर यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें। शेषनाग - शेषनाग कालसर्प दोष होने पर रात्रि को लाल कपड़े में सौंफ बांधकर सिरहाने रखें और उसे अगले दिन सुबह खा लें। - दिन दूध-जलेबी का दान करें।
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