Any person can get spiritual counseling for leading a spiritual way of life. Beginners can Take Guru Mantar Deksha .Send us Emale For Guru Mantar Deksha /Sadhna procedure . chaudhary21@airtelmail.in
पाप और पुण्य की मान्यताओं का विस्तृत वर्णन सभी ग्रंथों में किया गया है। इन्हीं के अनुसार हमारे कर्मों को पाप और पुण्य में वर्गीकृत किया जाता है। कुछ ऐसे कार्य बताए गए हैं जिन्हें महापाप की श्रेणी में रखा गया है और इन कार्यों को करने से सदैव बचना चाहिए।
गलत काम करने पर व्यक्ति को निकट भविष्य में उसका बुरा फल अवश्य ही प्राप्त होता है। जो व्यक्ति जैसे कार्य करेगा उसे वैसा ही परिणाम भोगना पड़ता है। यहां कुछ ऐसे काम बताए जा रहे हैं जिन्हें कभी नहीं करना चाहिए,
किसी भी व्यक्ति से अनावश्यक रूप से कठोर वचन बोलना पाप माना गया है।
जो लोग सिर्फ सुंदरता को ही सबकुछ मानते हैं, किसी के अच्छे व्यवहार, धार्मिक आचरण को महत्व नहीं देते हैं और सुंदर न दिखाई देने वाले लोगों का अपमान करते हैं, यह भी पाप है।
यदि कोई स्त्री पति के अतिरिक्त किसी पर पुरुष से शारीरिक संबंध रखती है तो यह महापाप है। ठीक इसी प्रकार कोई पुरुष पत्नी के अतिरिक्त किसी अन्य स्त्री से शारीरिक संबंध रखता है तो यह महापाप है। शास्त्रों के अनुसार ऐसे कर्म करने वालों को भयंकर परिणाम झेलने पड़ते हैं।
दूसरों का धन हड़पना या हड़पने की इच्छा नहीं करना चाहिए। किसी भी स्थिति में दूसरे लोगों के धन को धोखे से हड़प लेना पाप है।
तन, मन, कर्म से किसी को दु:ख देना, किसी को आहत करना, किसी के कार्य बिगाड़ना पाप है।
अनावश्यक रूप से झूठ बोलना या सच को छुपाना भी पाप है। ऐसा माना जाता है कि किसी की भलाई के लिए कुछ परिस्थितियों में झूठ बोला जाए तो वह पाप नहीं है
शास्त्रों के अनुसार अन्य लोगों की किसी वस्तु को उनकी आज्ञा के बिना ले लेना और छिपा लेना चोरी है। किसी भी स्थिति में चोरी करना पाप ही है।
दूसरों की बुराई या निंदा करना भी पाप है। अत: कभी भी किसी स्थिति में अन्य लोगों की बुराई नहीं करनी चाहिए।
यदि आपका मन किसी गलत कार्य को करने से मना कर रहा है, फिर भी वह काम आप करते हैं तो यह महापाप है। ये कर्म निषिद्ध कर्म (मन जिन्हें करने से मना करें) माने गए हैं।
कुछ लोगों की आदत होती है कि वे अनावश्यक रूप से बोलते रहते हैं। जबकि शास्त्रों के अनुसार बकवास करना (बिना कारण बोलते रहना) भी पाप है।
यहां बताए गए पाप कर्मों को करने वाला व्यक्ति नर्क की यातनाएं भोगता है। ऐसा शास्त्रों में वर्णित है।
पाप और पुण्य की मान्यताओं का विस्तृत वर्णन सभी ग्रंथों में किया गया है। इन्हीं के अनुसार हमारे कर्मों को पाप और पुण्य में वर्गीकृत किया जाता है। कुछ ऐसे कार्य बताए गए हैं जिन्हें महापाप की श्रेणी में रखा गया है और इन कार्यों को करने से सदैव बचना चाहिए।
गलत काम करने पर व्यक्ति को निकट भविष्य में उसका बुरा फल अवश्य ही प्राप्त होता है। जो व्यक्ति जैसे कार्य करेगा उसे वैसा ही परिणाम भोगना पड़ता है। यहां कुछ ऐसे काम बताए जा रहे हैं जिन्हें कभी नहीं करना चाहिए,
किसी भी व्यक्ति से अनावश्यक रूप से कठोर वचन बोलना पाप माना गया है।
जो लोग सिर्फ सुंदरता को ही सबकुछ मानते हैं, किसी के अच्छे व्यवहार, धार्मिक आचरण को महत्व नहीं देते हैं और सुंदर न दिखाई देने वाले लोगों का अपमान करते हैं, यह भी पाप है।
यदि कोई स्त्री पति के अतिरिक्त किसी पर पुरुष से शारीरिक संबंध रखती है तो यह महापाप है। ठीक इसी प्रकार कोई पुरुष पत्नी के अतिरिक्त किसी अन्य स्त्री से शारीरिक संबंध रखता है तो यह महापाप है। शास्त्रों के अनुसार ऐसे कर्म करने वालों को भयंकर परिणाम झेलने पड़ते हैं।
दूसरों का धन हड़पना या हड़पने की इच्छा नहीं करना चाहिए। किसी भी स्थिति में दूसरे लोगों के धन को धोखे से हड़प लेना पाप है।
तन, मन, कर्म से किसी को दु:ख देना, किसी को आहत करना, किसी के कार्य बिगाड़ना पाप है।
अनावश्यक रूप से झूठ बोलना या सच को छुपाना भी पाप है। ऐसा माना जाता है कि किसी की भलाई के लिए कुछ परिस्थितियों में झूठ बोला जाए तो वह पाप नहीं है
शास्त्रों के अनुसार अन्य लोगों की किसी वस्तु को उनकी आज्ञा के बिना ले लेना और छिपा लेना चोरी है। किसी भी स्थिति में चोरी करना पाप ही है।
दूसरों की बुराई या निंदा करना भी पाप है। अत: कभी भी किसी स्थिति में अन्य लोगों की बुराई नहीं करनी चाहिए।
यदि आपका मन किसी गलत कार्य को करने से मना कर रहा है, फिर भी वह काम आप करते हैं तो यह महापाप है। ये कर्म निषिद्ध कर्म (मन जिन्हें करने से मना करें) माने गए हैं।
कुछ लोगों की आदत होती है कि वे अनावश्यक रूप से बोलते रहते हैं। जबकि शास्त्रों के अनुसार बकवास करना (बिना कारण बोलते रहना) भी पाप है।
यहां बताए गए पाप कर्मों को करने वाला व्यक्ति नर्क की यातनाएं भोगता है। ऐसा शास्त्रों में वर्णित है।
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