हमारे 33 करोड़ देवी-देवता हैं, यानी देवी-देवताओं की संख्या 33 करोड़ बताई जाती है। ये बात कम ही लोग जानते हैं कि 33 करोड़ देवी-देवता कैसे बताए गए हैं और इनमें कौन-कौन से देवता शामिल हैं। शास्त्रों के अनुसार देवताओं की संख्या 33 कोटि बताई गई हैं। यहां कोटि शब्द का अर्थ है प्रकार, यानी 33 प्रकार के देवता बताए गए हैं। इसी शब्द 33 कोटि को 33 करोड़ माना जाने लगा है। पुराने समय से ही 33 कोटि देवता की गणना 33 करोड़ देवी-देवताओं के रूप में की जाती रही है। इन 33 कोटियों में आठ वसु, ग्यारह रुद्र, बारह आदित्य, इंद्र और प्रजापति शामिल हैं। इन्हीं देवताओं को 33 करोड़ देवी-देवता माना गया है। यहां इंद्र और प्रजापति के स्थान पर कुछ विद्वानों द्वारा दो अश्विनी कुमारों को शामिल किया जाता है। इस प्रकार कुल 33 करोड़ देवता नहीं हैं बल्कि 33 प्रकार के प्रमुख देवता बताए गए हैं। अष्ट वसु, बारह आदित्य, 11 रुद्र, इंद्र और प्रजापति सहित ये 33 प्रमुख देवता कौन-कौन हैं... ये हैं 12 आदित्य के नाम - धाता - मित - अर्यमा - शक्र - वरुण - अंश - भग - विवस्वान - पूषा - सविता - त्वष्टा - विष्णु ये हैं अष्ट वसु के नाम - धर - ध्रुव - सोम - अह - अनिल - अनल - प्रत्युष - प्रभाष ये हैं ग्यारह रुद्र - हर - बहुरूप - त्र्यम्बक - अपराजिता - वृषाकपि - शम्भू - कपर्दी - रेवत - म्रग्व्यध - शर्व - कपाली बारह आदित्य, ग्यारह रुद्र और अष्ट वसु के साथ ही 2 अश्विनी कुमार हैं। इन सभी देवताओं की संख्या का योग 33 है और इन्हीं 33 प्रकार के देवताओं को 33 करोड़ देवी-देवता माना जाता है। कोटि शब्द के दो अर्थ हैं पहला है करोड़ और दूसरा अर्थ है प्रकार। अत: यहां कोटि शब्द का अर्थ करोड़ माना जाने लगा, जिससे देवताओं की संख्या 33 करोड़ हो गई।
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